लखनऊ में नगर निगम में गतिरोध, मेयर-नगर आयुक्त विवाद से बैठक स्थगित, बीजेपी पार्षद धरने पर बैठे
 
                 
              
                लखनऊ। राजधानी लखनऊ नगर निगम में मेयर सुषमा खर्कवाल और नगर आयुक्त गौरव कुमार के बीच चल रहा गतिरोध चरम पर पहुँच गया है। इसी विवाद के चलते नगर निगम की कार्यकारिणी बैठक लगातार दूसरी बार स्थगित हो गई, जिसके विरोध में पार्षदों ने जमकर हंगामा किया। मेयर ने नगर आयुक्त पर बजट के कागजात चपरासी से भिजवाने का आरोप लगाते हुए इसकी शिकायत सरकार से करने की बात कही है। हंगामेदार रही बैठक, बिना नतीजे स्थगित
लालबाग स्थित मुख्यालय में हुई कार्यकारिणी बैठक हंगामेदार रही। कार्य न होने का आरोप लगाते हुए भाजपा पार्षद अरुण राय और पार्षद पृथ्वी गुप्ता ने जमीन पर बैठकर धरना शुरू कर दिया। करीब सवा घंटे चली बैठक बिना किसी नतीजे के स्थगित हो गई।
मेयर सुषमा खर्कवाल के प्रमुख आरोप:
-   संकल्पों पर अमल नहीं: ढाई साल में किसी भी संकल्प पर काम नहीं हुआ है। जब तक पूर्व में लिए गए संकल्पों पर फैसला नहीं लिया जाता, तब तक आगामी बैठक नहीं होगी। 
-   अधिकारियों की मनमानी: बजट अधिकारी स्वयं लाने के बजाय चपरासी के द्वारा भेज रहे हैं। एजेंडा लौटाए जाने पर उसे डाक से भेजा गया, जबकि विभागीय अध्यक्ष और नगर आयुक्त को स्वयं लेकर आना चाहिए। 
-   भ्रष्टाचार और नुकसान: एक अपर नगर आयुक्त समेत कर्मचारियों पर ₹1 लाख मांगने का आरोप लगा है (झूलेलाल पार्क बुकिंग प्रकरण में)। मेयर ने कहा कि अपर नगर आयुक्त की लापरवाही से नगर निगम को करीब ₹3.5 लाख का नुकसान हुआ है (बुकिंग में देरी के मामले में, जबकि पुलिस ने समय पर परमिशन दे दी थी)। 
-   बजट पर गतिरोध: सड़क पैच वर्क के लिए ₹23 करोड़ के अतिरिक्त बजट की मांग पर कोई चर्चा नहीं हुई। बजट लेने से मना करने पर एक द्वितीय श्रेणी के लिपिक सुखदेव का वेतन रोक दिया गया है। 
-   सफाई व्यवस्था बदहाल: शहर की रैंकिंग नंबर 3 पर थी, लेकिन अब चीजें खराब हो रही हैं। सड़क के पैच वर्क का काम ठप है, 10 करोड़ देने के बाद भी 90% काम नहीं हुआ। एक सफेद हाथी (मशीन) गड्ढे भरने के लिए खड़ा है। 
पार्षदों का आक्रोश
कार्यकारिणी सदस्य अनुराग मिश्रा अन्नू और पार्षद पृथ्वी गुप्ता ने अधिकारियों पर जवाबदेही न होने का आरोप लगाया:
-   निर्णयों पर अमल नहीं: सदन और कार्यकारिणी में लिए गए निर्णयों पर कोई अमल नहीं हुआ है। 
-   बुनियादी ढांचे की अनदेखी: सुलभ और पिंक टॉयलेट बदहाल हैं, चरक चौराहे पर टॉयलेट बंद है। 
-   स्टाफ की कमी: संविदा कर्मी के पद खाली हैं, 400 से अधिक लाइनमैन काम छोड़कर जा चुके हैं। 
-   मृतक आश्रित: 46 मृतक आश्रितों में से 31 को नौकरी नहीं दी गई है। 
-   कानूनी मामले: सदन द्वारा पारित अधिवक्ता शैलेंद्र सिंह को पैनल में शामिल नहीं किया गया, जबकि मनमाने ढंग से नामित शर्मा को ₹2-3 लाख की फीस दी जा रही है। 
-   हाउस टैक्स घोटाला: हाउस टैक्स में ₹12 लाख का नोटिस देकर उसे ₹2 लाख कर दिया जा रहा है। 
मेयर ने कहा कि शहर की सफाई, मार्ग प्रकाश, टूटी सड़कों, जलभराव और अवैध कब्जों पर प्रशासन की कार्यशैली निराशाजनक रही है। उन्होंने कहा कि नगर निगम प्रशासन ने जनता का धन और जनप्रतिनिधियों का समय दोनों व्यर्थ किया है।
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