भाकियू की गुटबाजी में SC/ST एक्ट का झूठा मुकदमा हुआ था दर्ज, दर्ज कराने वाली महिला को 3 साल की जेल
 
                 
              
                लखनऊ। एससी/एसटी एक्ट के तहत झूठा मुकदमा दर्ज कराकर सरकारी सहायता प्राप्त करने की बढ़ती प्रवृत्ति पर लगाम लगाते हुए लखनऊ की एक विशेष अदालत ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। अदालत ने झूठी एफआईआर दर्ज कराने वाली ममता नामक महिला को 3 साल की साधारण कारावास की सज़ा सुनाई है और राहत राशि वापस लेने का आदेश दिया है।
अब सिर्फ FIR पर नहीं मिलेगी राहत राशि
विशेष न्यायाधीश (एससी/एसटी एक्ट) विवेकानंद शरण त्रिपाठी की अदालत ने जिलाधिकारी (DM) लखनऊ को निर्देश दिया है कि भविष्य में केवल एफआईआर दर्ज होने के आधार पर एससी/एसटी एक्ट के तहत कोई भी राहत राशि (10% से 25%) न दी जाए।
कोर्ट ने स्पष्ट किया कि:
"राहत की संपूर्ण राशि केवल तभी दी जाए जब आरोपपत्र (Charge Sheet) दाखिल हो जाए और मामला प्रथम दृष्टया सिद्ध हो।"
न्यायाधीश ने कहा कि अगर एफआईआर दर्ज होने के स्तर पर ही राहत राशि दी जाती रही, तो फर्जी मुकदमों की संख्या बढ़ती जाएगी और निर्दोष लोग फंसते रहेंगे। कोर्ट ने इस फैसले को 'कानून के दुरुपयोग पर नियंत्रण' की दिशा में आवश्यक कदम बताया है।
किसान यूनियन की गुटबाजी में दर्ज हुआ था झूठा केस
मामला 2019 में थाना माल में दर्ज हुआ था। ममता ने विनोद कुमार, केशन और अर्जुन सिंह पर छेड़छाड़ और लूट का झूठा आरोप लगाया था।
-   जांच में खुलासा: जांच में सामने आया कि यह पूरा विवाद भारतीय किसान यूनियन के दो गुटों के बीच चल रही रंजिश का परिणाम था। एक गुट के नेता पर दुष्कर्म और मारपीट का मुकदमा दर्ज होने के बाद, दूसरे गुट के नेता ने अपनी सदस्य ममता को आगे करके प्रतिद्वंद्वी नेताओं पर झूठा केस दर्ज कराया था। 
-   कबूलनामा: खुद ममता ने भी जांच के दौरान स्वीकार किया कि मुकदमा 'बदले की भावना' से दर्ज कराया गया था। 
कारावास और जुर्माना
न्यायालय ने ममता को भारतीय दंड संहिता (IPC) की निम्नलिखित धाराओं के तहत सज़ा सुनाई है:
-   धारा 182 (झूठी सूचना): 6 महीने का कारावास। 
-   धारा 211 (झूठा आरोप): 3 साल का साधारण कारावास। 
अदालत ने कहा कि दोनों सजाएं साथ-साथ चलेंगी। कोर्ट ने डीएम को आदेश दिया है कि अगर ममता को एससी/एसटी एक्ट के तहत किसी प्रकार की राहत राशि मिली हो, तो उसे तत्काल वापस लिया जाए।
संबंधित खबरें
लेखक के बारे में
 
                रॉयल बुलेटिन उत्तर भारत का प्रमुख हिंदी दैनिक है, जो पाठकों तक स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय खबरें तेज़, सटीक और निष्पक्ष रूप में पहुँचाता है, हिंदी पत्रकारिता का एक भरोसेमंद मंच !

 
            .jpg) 
         
         
         
         
                            
                         
                            
                         
                            
                         
                            
                         
                            
                         
                            
                         
                            
                         
                            
                        