सपा नेता आज़म खान को अर्श से फर्श पर लाने वाले IAS आंजनेय सिंह रिलीव, 10 साल बाद लौटेंगे सिक्किम कैडर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में लंबे समय से चर्चा में रहे आईएएस अधिकारी आंजनेय कुमार सिंह अब अपने मूल सिक्किम कैडर लौट रहे हैं। सरकार ने उन्हें मुरादाबाद मंडलायुक्त के पद से रिलीव करते हुए प्रतिनियुक्ति समाप्त कर दी है और नियमानुसार मिलने वाले साठ दिन का अवकाश भी स्वीकृत कर दिया है। […]
लखनऊ। उत्तर प्रदेश की नौकरशाही में लंबे समय से चर्चा में रहे आईएएस अधिकारी आंजनेय कुमार सिंह अब अपने मूल सिक्किम कैडर लौट रहे हैं। सरकार ने उन्हें मुरादाबाद मंडलायुक्त के पद से रिलीव करते हुए प्रतिनियुक्ति समाप्त कर दी है और नियमानुसार मिलने वाले साठ दिन का अवकाश भी स्वीकृत कर दिया है। 2005 बैच के अधिकारी आंजनेय सिंह को फरवरी 2015 में सपा शासनकाल में पांच साल की प्रतिनियुक्ति पर उत्तर प्रदेश भेजा गया था, लेकिन उनका नाम सबसे ज्यादा सुर्खियों में तब आया जब 2019 में उन्हें रामपुर का जिलाधिकारी बनाया गया।
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रामपुर की प्रशासनिक कमान संभालते हुए उन्हें सीधे तौर पर सपा सांसद आज़म खां से टकराना पड़ा। उस समय लोकसभा चुनाव चल रहे थे और आचार संहिता उल्लंघन को लेकर कई बार कार्रवाई की नौबत आई, जिसमें आंजनेय सिंह ने अपने कड़े प्रशासनिक रवैये का परिचय दिया। आज़म खां ने उनके खिलाफ सार्वजनिक मंचों से कई बार आपत्तिजनक टिप्पणियाँ भी कीं, जिसके बाद राजनीति और प्रशासन में तनातनी खुलकर सामने आ गई। यहीं से आंजनेय सिंह का नाम सुर्खियों में छा गया, क्योंकि उनके कार्यकाल में ही रामपुर के सांसद आज़म खां पर लगातार मुकदमों की बौछार हुई और कई संवेदनशील केस दर्ज हुए।
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बाद में यही कार्रवाई कानूनी रूप से इतनी मजबूत साबित हुई कि आज़म खान को जेल तक जाना पड़ा। इस पूरे घटनाक्रम में आंजनेय कुमार सिंह को एक सख्त और निष्पक्ष अफसर के तौर पर पहचान मिली। यद्यपि उनकी पांच साल की प्रतिनियुक्ति अवधि 2020 में खत्म हो गई थी, लेकिन केंद्र से उन्हें लगातार दो बार विस्तार मिलता रहा और 2021 में प्रोन्नति के बाद वे मुरादाबाद के मंडलायुक्त नियुक्त कर दिए गए।
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तब से लेकर अब तक उनकी प्रतिनियुक्ति हर छह-छः महीने बढ़ाई जाती रही, लेकिन 14 अगस्त 2025 को तीसरी बार अवधि समाप्त होने के साथ सरकार ने अब उन्हें उनके मूल सिक्किम कैडर लौटने का रास्ता साफ कर दिया है। इस तरह आंजनेय सिंह का पूरा उत्तर प्रदेश कार्यकाल, खासतौर पर रामपुर की पोस्टिंग और आज़म खान पर कड़ी कार्रवाई, लंबे समय तक राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बनी रहेगी।
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