लखनऊ जेल में पूर्व मंत्री गायत्री प्रजापति पर बंदी ने किया कैंची से हमला, सिर में लगे 10 टांके, सपा ने उठाए सुरक्षा पर सवाल

Lucknow News: लखनऊ जेल में शनिवार को उस समय अफरा-तफरी मच गई जब पूर्व मंत्री एवं समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक गायत्री प्रसाद प्रजापति पर जेल के ही एक बंदी ने कैंची से हमला कर दिया। अचानक हुए इस हमले में गायत्री प्रजापति गंभीर रूप से घायल हो गए और उनके सिर में 10 से अधिक टांके लगे। आनन-फानन में जेल प्रशासन ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया। फिलहाल उनकी हालत खतरे से बाहर बताई जा रही है।
सिर पर कई वार, हालत नाजुक
सपा ने उठाए सुरक्षा पर सवाल
इस हमले के बाद समाजवादी पार्टी ने जेल प्रशासन पर सवाल खड़े किए हैं। पार्टी प्रवक्ता फखरुल हसन चांद ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि जेल में बंद पूर्व मंत्री पर हमला चिंताजनक है। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि गायत्री प्रजापति को बेहतर इलाज और सुरक्षा दी जाए।
जेल प्रशासन ने बढ़ाई सुरक्षा, जांच शुरू
जेल परिसर के अंदर हुई इस वारदात ने सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल दी है। जेल प्रशासन ने घटना के तुरंत बाद पूरे परिसर में सुरक्षा कड़ी कर दी और आरोपी बंदी को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी। पुलिस का कहना है कि यह भी जांच की जा रही है कि हमला व्यक्तिगत रंजिश में हुआ या इसके पीछे कोई साजिश है।
DG जेल ने दिया बयान, धक्का-मुक्की में लगी चोटें
डीजी जेल ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि गायत्री प्रजापति जेल अस्पताल में भर्ती थे, जहां सफाई ड्यूटी पर लगे एक बंदी से उनकी कहासुनी हो गई। धक्का-मुक्की के दौरान आरोपी ने उन्हें अलमारी के स्लाइडिंग हिस्से से चोट पहुंचाई, जिससे उनके सिर में चोट लगी। अधिकारी ने दावा किया कि उन्हें तुरंत इलाज मिला और वह पूरी तरह सुरक्षित हैं।
उम्रकैद की सजा काट रहे हैं पूर्व मंत्री
गायत्री प्रजापति 2017 से लखनऊ जेल में बंद हैं। नवंबर 2021 में उन्हें गैंगरेप के मामले में दोषी करार देते हुए कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी। कई बार उन्होंने जमानत के लिए आवेदन किया लेकिन हर बार खारिज कर दिया गया। वह सपा सरकार में कद्दावर मंत्री माने जाते थे।
राजनीति से अब भी जुड़ा परिवार, पत्नी विधायक
गायत्री प्रजापति की पत्नी महराजी देवी वर्तमान में अमेठी सीट से विधायक हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी प्रत्याशी संजय सिंह को हराया था। इसी सीट से खुद गायत्री प्रजापति भी 2012 में चुनाव जीते थे, लेकिन 2017 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा।