मेरठ में सूफीवाद का जश्न: भारत बना आध्यात्मिकता का दिल, नग्मों-शायरी ने बांधा समां
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मेरठ। भारत में सूफीवाद की जीवंत परंपरा को रेखांकित करते हुए, जैदी फार्म में आयोजित एक सूफी सम्मेलन में सूफी अत्लाफ मीर ने कहा कि सूफीवाद आज के अशांत और खंडित समाज में प्रेम, शांति, और मानवीय जुड़ाव का क्रांतिकारी खाका पेश करता है। उन्होंने भारत को वैश्विक सूफीवाद का हृदय बताया, जहाँ यह हठधर्मिता से परे आध्यात्मिकता को बढ़ावा देता है।
दिल्ली से आए सूफी सिराज हुसैन कलमी ने बताया कि 12वीं सदी में भारत पहुँचा सूफीवाद स्थानीय भक्ति और बौद्ध परंपराओं के साथ घुलमिल गया। ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती द्वारा अजमेर में स्थापित चिश्ती सम्प्रदाय इसका प्रतीक है, जिसने फना (अहंकार का नाश) और बक़ा (ईश्वर में लीन होना) की शिक्षाओं के साथ हिंदू-मुस्लिम सभी को आकर्षित किया। उनकी दरगाह आज भी सार्वभौमिक प्रेम और मानवता की सेवा का केंद्र है।
सम्मेलन में सूफी नग्मों और शायरी ने माहौल को आध्यात्मिक रंग में रंग दिया। सूफियों ने आधुनिक चुनौतियों में सूफीवाद की प्रासंगिकता पर विचार साझा किए।