मेरठ। पश्चिम उत्तर प्रदेश के सब एरिया मेरठ कैंट में प्रदेश के 34 भूकंप-आपदा संवेदनशील जनपदों के साथ भूकंप, औद्योगिक (रासायनिक) एवं अग्नि सुरक्षा पर ‘समन्वय’ विषयक राज्य स्तरीय Symposium cum Table Top Exercise का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का आयोजन उत्तर प्रदेश राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण और भारतीय सेना के मुख्यालय मध्य कमान द्वारा किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्राधिकरण के उपाध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल योगेंद्र डिमरी, पीवीएसएम, एवीएसएम, वीएसएम (सेनि) ने किया। मुख्य अतिथियों में एनडीएमए के सदस्य एवं प्रमुख राजेन्द्र सिंह, सदस्य डॉ. दिनेश कुमार असवाल, लेफ्टिनेंट जनरल डी.जी. मिश्रा (एवीएसएम), मेरठ जोन के अपर पुलिस महानिदेशक भानु भास्कर (आईपीएस), मेजर जनरल सुमित राना (GOC, PUPSA) शामिल थे।
राजेन्द्र सिंह ने कहा कि भूकंप एक अप्रत्याशित आपदा है, जिसके लिए हमें पूर्व तैयारी आवश्यक है। इसके साथ ही अग्नि दुर्घटना और केमिकल हादसे जैसी घटनाओं से निपटने के लिए भी सतर्क रहना होगा।
टेबल टॉप अभ्यास की शुरुआत भूकंप, केमिकल और अग्नि खतरों के प्रबंधन पर चर्चा से हुई। डॉ. एच.एस. मंडल, वैज्ञानिक-एफ ने भूकंप की निगरानी और पूर्व चेतावनी के संबंध में व्याख्यान दिया। डॉ. अदिति उमराव, परियोजना निदेशक (इमरजेंसी ऑपरेशन), यूपीएसडीएमए ने प्रदेश की एचआरवीसीए, प्रतिक्रिया तंत्र एवं आईआरएस प्रणाली की भूमिका पर प्रकाश डाला।
प्रथम सत्र में उत्तर प्रदेश फायर एंड इमरजेंसी सर्विस ने प्रदेश की भूकंप, रासायनिक और अग्नि आपदाओं से निपटने की क्षमता और चुनौतियों पर जानकारी दी। इसके बाद भारतीय रेलवे के श्री चेतन तनेजा ने रेलवे की आपदा प्रतिक्रिया क्षमताओं पर प्रकाश डाला। 11वीं बटालियन के कमांडेंट मनोज कुमार शर्मा ने एनडीआरएफ की विशेषज्ञ क्षमताओं की प्रस्तुति दी।
स्वास्थ्य विभाग के सलाहकार डॉ. अनुज त्रिपाठी ने बड़े पैमाने पर आपदा में चिकित्सा आपात योजना पर चर्चा की। सीबीआरआई रुड़की के प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. अजय चौरसिया ने संरचनात्मक लचीलापन और शहरी सुरक्षा पर जानकारी दी। डीआरडीओ ग्वालियर के वैज्ञानिक-एफ डॉ. मिहिर पालित ने औद्योगिक रासायनिक दुर्घटनाओं में प्रतिक्रिया और चुनौतियों पर व्याख्यान दिया। कर्नल के.डी.एस. शक्तावत ने सेना की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डाला।
बुलंदशहर के मुख्य अग्निशमन अधिकारी प्रमोद शर्मा ने झांसी अस्पताल एनआईसीयू अग्निकांड (2024) के केस स्टडी से मिली सीख साझा की। ले. कर्नल भाव्या सिरोही ने आपदा के दौरान चिकित्सा सहयोग पर प्रकाश डाला, जबकि कर्नल राकेश खट्टर ने म्यांमार भूकंप के बाद इंजीनियरिंग सहायता का अनुभव साझा किया।