गांधी द्वारा किए कार्य सदियों तक अमर रहेंगे- प्रोफेसर सगीर
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मेरठ। सीसीएस विश्वविद्यालय के उर्दू विभाग में महात्मा गांधी और उनका दर्शन विषय पर ऑनलाइन कार्यक्रम आयोजित किया गया।
'प्रेमचंद हमें बहुत जल्दी छोड़कर चले गए। मौलवी अब्दुल हक भी हमें बहुत जल्दी छोड़कर चले गए, लेकिन गांधीजी द्वारा किए गए उत्कृष्ट कार्यों को कभी नहीं भुलाया जा सकता। लाल बहादुर शास्त्री ने भी हमेशा सत्य के मार्ग पर चलने की सलाह दी थी। ये शब्द प्रसिद्ध शोधकर्ता और आलोचक प्रोफेसर सगीर अफराहीम के थे। जो आयुसा और उर्दू विभाग द्वारा आयोजित "महात्मा गांधी और उनका दर्शन" विषय पर अपने अध्यक्षीय भाषण दे रहे थे। उन्होंने कहा कि गांधीजी ने जिस तरह से अपने दर्शन से हमें प्रभावित किया है, उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता। महात्मा गांधी निश्चित रूप से हमारे लिए महात्मा हैं। महात्मा गांधी द्वारा किए गए महान कार्य सदियों तक अमर रहेंगे।
इससे पहले, कार्यक्रम की शुरुआत प्रोफेसर असलम जमशेदपुरी ने पवित्र कुरान की तिलावत से की। अध्यक्षता प्रोफेसर सगीर अफराहीम ने की। डीएन कॉलेज के प्राचार्य डॉ. बीएस यादव ने मुख्य अतिथि के रूप में भाग लिया। सीसीएसयू के सहायक प्रोफेसर डॉ. नरेंद्र कुमार, सहायक प्रोफेसर, राजनीति विज्ञान विभाग, सीसीएसयू डॉ. मुनेश कुमार, प्रख्यात कहानीकार, बुलंदशहर निर्देश निधि और सैयदा मरियम इलाही ने शोध वक्ताओं के रूप में भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अलका वशिष्ठ ने किया और धन्यवाद ज्ञापन फरहत अख्तर ने किया। इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए निर्देश निधि ने कहा कि गांधीजी न केवल एक समाजसेवी, दार्शनिक और एक अच्छे क्रिकेटर थे, बल्कि वे एक महान राजनीतिक नेता भी थे और समाज सेवा में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। गांधीजी हर वर्ग को समान मानते थे। गांधीजी सत्य को ईश्वर मानते थे। गांधीजी स्वराज में विश्वास करते थे। आज हम देखते हैं कि समाज में छोटे को बहुत छोटा और बूढ़े को बहुत बड़ा समझा जाता है। गांधीजी शिक्षा को सफलता की गारंटी मानते थे।
डॉ. मुनेश कुमार ने कहा कि गांधीजी के राष्ट्रीय आंदोलन में किसान, मजदूर और हर वर्ग के उच्च शिक्षित लोग शामिल थे। राजनीति में आने से पहले ही गांधीजी ने महसूस कर लिया था कि महिलाओं की स्थिति बहुत खराब है। गांधीजी ने हर वर्ग के लिए काम किया। वे स्वतंत्रता संग्राम में सबसे आगे थे। याद रखें कि जहाँ कहीं भी लड़ाई होगी, जहाँ कहीं भी रंग और नस्ल का सवाल होगा, गांधीजी की शिक्षाएँ हमारा मार्गदर्शन करती नज़र आएंगी। निस्संदेह, गांधीजी एक सर्वांगीण व्यक्तित्व थे।
डॉ. नरेंद्र कुमार ने कहा कि गांधीजी एक दुबले-पतले व्यक्ति थे, लेकिन यह समझना ज़रूरी है कि वे ऐसे क्यों थे। आज के परिवेश में गांधीजी जैसा व्यक्ति होना बहुत मुश्किल है। गांधीजी ने हमें पिछड़े और अतिपिछड़े लोगों को समान रूप से समझना सिखाया। बहुत से लोग गांधीजी के विरोधी हैं, लेकिन गांधीजी की ईमानदारी, उनकी सच्चाई, देश और राष्ट्र के लिए उनके संघर्ष को देखकर वे उन्हें सम्मान की दृष्टि से देखते हैं।
डॉ. बीएस यादव ने कहा कि आज हम देश की दो महत्वपूर्ण हस्तियों को याद कर रहे हैं। गांधीजी ने जिस तरह सभी लोगों के लिए काम किया, उससे यह आभास होता है कि वे लोगों को अच्छे कार्यों के लिए आगे लाना चाहते थे। हमें गांधीजी की शिक्षाओं का अनुसरण करने की आवश्यकता है। मैं अपने सभी साथियों और आज के कार्यक्रम में अपने विचार व्यक्त करने वालों को इस पावन अवसर पर बधाई देता हूँ। कार्यक्रम में डॉ. इरशाद सियानवी, शाहे ज़मन, उज्मा सहर, मुहम्मद नदीम, मुहम्मद शमशाद, मदीहा असलम और अन्य छात्र-छात्राएँ शामिल थीं।