Moradabad News: जिले में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ने से छाती और फेफड़ों के संक्रमण के मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। जिला अस्पताल के जनरल फिजिशियन डॉ. आशीष कुमार सिंह ने बताया कि हवा में मौजूद हानिकारक कण सांस नली के माध्यम से फेफड़ों तक पहुंचकर संक्रमण पैदा कर रहे हैं। इस मौसम में खांसी, नजला और जुकाम के मामले बढ़े हैं, विशेषकर सूखी खांसी बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा परेशान कर रही है।
अस्पतालों में खांसी-जुकाम के मरीजों की भरमार
डॉ. सिंह ने बताया कि खांसी के सिरप और आवश्यक दवाओं की मांग अचानक बढ़ गई है और कई मरीजों को एंटीबायोटिक देने की जरूरत पड़ रही है। उनका कहना है कि अस्पताल की ओपीडी में हर तीसरा या चौथा मरीज खांसी, जुकाम या सांस लेने में समस्या की शिकायत लेकर आ रहा है, जिससे बढ़ते प्रदूषण का सीधा प्रभाव साफ दिख रहा है।
इनहेलर थेरेपी के मरीजों की संख्या में भारी इजाफ़ा
जिला अस्पताल के श्वांस रोग विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप कुमार वार्ष्णेय ने बताया कि प्रदूषण के कारण इनहेलर थेरेपी कराने वाले मरीजों की संख्या प्रतिदिन 20 तक पहुंच गई है। गंभीर स्थिति वाले मरीजों को भर्ती कर इलाज दिया जा रहा है, जबकि स्थिर मरीजों को इनहेलर देकर घर भेजा जा रहा है। डॉक्टरों के अनुसार इनहेलर थेरेपी से मरीजों को काफी राहत मिल रही है।
बचाव ही है सबसे प्रभावी इलाज
- डॉक्टरों ने बताई ज़रूरी सावधानियाँ
- डॉक्टरों ने प्रदूषण के बढ़ते खतरे से बचने के लिए जरूरी सावधानियाँ बरतने की सलाह दी है—
- घर से बाहर निकलते समय मास्क का अवश्य प्रयोग करें।
- अस्थमा के मरीज सुबह की सैर फिलहाल बंद रखें।
- डॉक्टर द्वारा बताई गई नियमित दवाएँ लेना न भूलें।
- फास्ट फूड व बाहर के भोजन से दूरी बनाए रखें।
- गुनगुना पानी पिएं और शरीर को हाइड्रेट रखें।
- कोई भी दवाई खुद से न लें और समस्या होने पर तुरंत चिकित्सक की सलाह लें।