संभल में स्कंदमाता की पूजा-अर्चना: नवरात्र पर्व पर श्रद्धालुओं की भीड़, रंगोली के माध्यम से जागरूकता का संदेश

Sambhal News: शनिवार को संभल के सिद्धपीठ श्रीचामुंडा देवी मंदिर में नवरात्र के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की गई। सुबह 07:25 बजे महाआरती का आयोजन किया गया, जो 08:15 बजे संपन्न हुई। इस दौरान हजारों श्रद्धालु मंदिर परिसर में मौजूद रहे और मां के प्रति अपनी भक्ति व्यक्त की।
"स्वच्छता ही सेवा" के संदेश के साथ रंगोली
श्रद्धालुओं ने मां स्कंदमाता से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना की
श्रद्धालुओं ने मां स्कंदमाता की आराधना करते हुए अपनी मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना की। महंत मुरली सिंह ने बताया कि इस दिन के मुख्य यजमान नवीन गुप्ता थे। प्रतिदिन नवरात्र के दौरान हजारों श्रद्धालु मंगला आरती के बाद रात 12 बजे तक दर्शन करने आते हैं।
मंदिर का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
मंदिर सम्राट पृथ्वीराज चौहान की कुलदेवी मां चामुंडा देवी का सिद्धपीठ है। यह स्थल संभल और आसपास के जिलों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है। श्रद्धालु यहां अपनी मन्नतें मांगने आते हैं और मां की कृपा पाने की कामना करते हैं।
स्कंदमाता की पौराणिक कथा और नारी शक्ति का संदेश
देवी स्कंदमाता कार्तिकेय (स्कंदकुमार) की माता होने के कारण इस नाम से जानी जाती हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, तारकासुर को वरदान था कि उसकी मृत्यु केवल भगवान शंकर के शुक्र से उत्पन्न पुत्र द्वारा ही संभव थी। इसी कारण देवी पार्वती का भगवान शंकर से विवाह हुआ, जिससे कार्तिकेय का जन्म हुआ और उन्होंने तारकासुर का वध किया। यह परंपरा नारी शक्ति और मातृ शक्ति का प्रतीक मानी जाती है।
संक्षिप्त सांस्कृतिक महत्व और जागरूकता पहल
नवरात्र के इस पर्व पर मंदिर में भक्ति, आस्था और सामाजिक संदेशों का मिश्रण देखने को मिला। स्वच्छता ही सेवा की रंगोली और मंदिर परिसर में भीड़ ने इस दिन को केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि समाजिक जागरूकता के दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण बना दिया।