रामपुर के इमामबाड़ा में गूंजा 'प्यार और मोहब्बत' का आह्वान: मौलाना कुमैली ने समझाया कर्बला का महत्व और जन्नत की नेमतें



कर्बला की महानता और इमाम हुसैन का बलिदान
मौलाना कुमैली ने अपने खिताब के दौरान कर्बला की पवित्र भूमि और उसके महत्व पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि कर्बला एक ऐसा स्थान है, जहां करोड़ों लोगों को भोजन, पानी और हर तरह की ज़रूरी सुविधाएं निःस्वार्थ भाव से उपलब्ध कराई जाती हैं।
उन्होंने विशेष रूप से नजफे अशरफ से कर्बला तक की लंबी पैदल यात्रा का ज़िक्र किया, जहां लाखों जायरीन (तीर्थयात्री) हज़रत इमाम हुसैन के रोज़े (मकबरे) की ज़ियारत करते हैं और इस दौरान उन्हें किसी चीज़ की कमी महसूस नहीं होती। मौलाना ने हज़रत इमाम हुसैन के महान बलिदान को भी याद किया, जिन्होंने कर्बला में इंसानियत और न्याय के मूल्यों को बचाने के लिए अपना सिर कटा दिया था।
जन्नत की नेमतों का ज़िक्र और अमन का आह्वान
मौलाना डॉ. हसन कुमैली ने अरबईन ए हज़रत इमाम हुसैन और शोहदा ए करबला के सिलसिले से जुड़े मोजिजात (चमत्कारों) का भी वर्णन किया। इसके साथ ही, उन्होंने जन्नत (स्वर्ग) की नेमतों का ज़िक्र करते हुए एक प्रेरणादायक उदाहरण दिया कि जन्नत में जो शख्स भी अल्लाह की नेमत का सच्चे दिल से इरादा करेगा, वह उसे तुरंत हासिल हो जाएगी। मजलिस के समापन पर, मौलाना कुमैली ने पुनः आलम ए इस्लाम के लिए शिया-सुन्नी इत्तेहाद का संदेश दोहराया।
कार्यक्रम की शुरुआत में मिर्जा तकी बेग, हसन मेहंदी, अब्बास हैदर सहरी और मोहम्मद हैदर सहरी ने पेशख्वानी (प्रशंसात्मक पाठ) की। इस धार्मिक अवसर पर मौलाना मूसा रजा, मौलाना ज़मा बाक़री सहित मिर्जा मुज्तबा अली वेग, तस्लीम सहरी, आसिफ सहरी, तनवीरुल हैदर, फैसल रिजवी, दानिश नकवी और आशु बेग समेत बड़ी संख्या में अकीदतमंद उपस्थित रहे।