संभल में 24 कोसीय परिक्रमा बनी आस्था का महासागर: लाखों श्रद्धालुओं ने किया 68 तीर्थों का दर्शन, मोक्षदायिनी यात्रा से गूंजा नगर

धार्मिक यात्रा का भव्य समापन

भक्ति और संस्कृति का संगम
रात्रि विश्राम स्थल पर भजन संध्या और धार्मिक नाट्य कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। इन कार्यक्रमों में बीजेपी एमएलसी और प्रदेश उपाध्यक्ष सत्यपाल सिंह सैनी, कल्कि पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम्, महामंडलेश्वर यतीन्द्रानंद गिरि, साध्वी प्राची सहित अनेक संत और धार्मिक हस्तियां मौजूद रहीं। भक्ति गीतों और प्रवचनों से वातावरण पूर्णतः आध्यात्मिक हो उठा।
मोक्षदायिनी परिक्रमा का महत्व
नाथ संप्रदाय के महंत बालयोगी दीनानाथ के अनुसार, यह परिक्रमा कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी और पंचमी को की जाती है। इसे मोक्षदायिनी कहा गया है क्योंकि जो व्यक्ति नियमपूर्वक व्रत, ध्यान और भगवान के नाम का जाप करते हुए इस यात्रा को पूर्ण करता है, उसे पुनर्जन्म नहीं लेना पड़ता। दीपावली के चार दिन बाद होने वाली यह परिक्रमा भक्तों के लिए आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक जागरण का पर्व बन जाती है।
परिक्रमा का ऐतिहासिक पुनरुद्धार
अजय शर्मा, हिंदू जागृति मंच के प्रदेश अध्यक्ष, ने बताया कि यह परिक्रमा एक समय 30 वर्षों तक बंद रही थी। लेकिन वर्ष 2006 में दर्जनभर श्रद्धालुओं ने पहल कर इसे पुनः आरंभ कराया। इससे पहले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों और स्थानीय समाजसेवियों ने 26 अक्टूबर को इस परिक्रमा मार्ग को पुनः जागृत करने का संकल्प लिया था, जो अब प्रदेश भर में धार्मिक एकता का प्रतीक बन चुका है।
वंशगोपाल तीर्थ का दिव्य महत्त्व
वंशगोपाल तीर्थ के महंत भगवत प्रिय के अनुसार, यह तीर्थ 5200 वर्ष पुराना माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण ने रुक्मणी हरण के बाद इसी स्थल पर विश्राम किया था। ब्रह्मा जी के निर्देश पर यहां 68 तीर्थों और 19 कूपों की स्थापना की गई थी, जिनमें प्रमुख रूप से कमलेश्वर, भुवनेश्वर और चंद्रेश्वर शिवलिंग हैं। कहा जाता है कि यहां कदम वृक्ष के नीचे मन्नत मांगने से संतान की प्राप्ति होती है।
व्यवस्था और सुरक्षा में प्रशासन की भूमिका
बीजेपी क्षेत्रीय उपाध्यक्ष राजेश सिंघल के अनुसार, संभल जिला धार्मिक दृष्टि से जितना पवित्र है, उतना ही प्रशासनिक दृष्टि से संवेदनशील भी है। इस बार प्रशासन और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार के सहयोग से परिक्रमा मार्ग को अतिक्रमण मुक्त कराया गया। प्रसाद वितरण से लेकर ट्रैफिक नियंत्रण तक, हर जिम्मेदारी सुव्यवस्थित तरीके से निभाई गई।
हर माह होती है छोटी परिक्रमा
24 कोसीय परिक्रमा का मासिक आयोजन हर माह के प्रथम रविवार को किया जाता है, जबकि वार्षिक परिक्रमा दीपावली के बाद आयोजित होती है। नगर हिंदू सभा अध्यक्ष कमलकांत तिवारी के अनुसार, वंशगोपाल तीर्थ के दर्शन से वंश वृद्धि, व्यापारिक सफलता और पारिवारिक सुख की प्राप्ति होती है। इस धार्मिक परंपरा को जीवित रखने में स्थानीय समितियों और समाजसेवी संगठनों की भी अहम भूमिका रही।
