अक्टूबर में करें तारामीरा की खेती और पाएं लाखों का मुनाफा — जानिए पूरी विधि, उत्पादन, सिंचाई और बाजार भाव की पूरी जानकारी

अगर आप किसान हैं और इस बार अक्टूबर महीने में कोई लाभदायक फसल बोने की सोच रहे हैं तो तारामीरा की खेती आपके लिए बेहतरीन विकल्प साबित हो सकती है। यह फसल सरसों के परिवार से जुड़ी हुई है और इसकी मांग बाजार में लगातार बनी रहती है। आइए जानते हैं कि अक्टूबर में तारामीरा की खेती कैसे करें और इससे किसान कितनी कमाई कर सकते हैं।
तारामीरा क्या है और क्यों खास है

मिट्टी और सिंचाई की जरूरत
तारामीरा की खेती के लिए हल्की दोमट मिट्टी सबसे बेहतर मानी जाती है। यह फसल कम पानी में भी बढ़िया उत्पादन देती है। पहली सिंचाई बुवाई के लगभग 40 से 50 दिन बाद करनी चाहिए और दूसरी सिंचाई जरूरत के अनुसार की जाती है। यह कम सिंचाई वाली फसल होने के कारण पानी की कमी वाले इलाकों में भी आसानी से उगाई जा सकती है।
बीज की मात्रा और बुवाई का तरीका
तारामीरा की बुवाई करते समय बीज का उपचार अवश्य करें ताकि फसल पर रोगों का असर न पड़े। बुवाई के लिए दो कतारों के बीच लगभग 40 सेंटीमीटर की दूरी रखें और बीज को लगभग 5 सेंटीमीटर की गहराई में बोएं। एक हेक्टेयर खेत में लगभग 5 किलो बीज की जरूरत पड़ती है। अच्छी पैदावार के लिए बुवाई से पहले गोबर की खाद या जैविक खाद का इस्तेमाल करना जरूरी होता है। बुवाई सीधे प्रसारण विधि या सीड ड्रिल मशीन से की जा सकती है।
उत्पादन और मुनाफा
अगर उत्पादन की बात करें तो तारामीरा की फसल प्रति हेक्टेयर 12 से 15 क्विंटल तक उपज दे सकती है। वर्तमान में इसकी कीमत विभिन्न मंडियों में ₹5000 से ₹6000 प्रति क्विंटल तक मिल रही है। ऐसे में किसान एक हेक्टेयर में तारामीरा की खेती करके लगभग ₹60,000 तक की कमाई कर सकते हैं। यही कारण है कि राजस्थान समेत कई राज्यों के किसान अब बड़ी संख्या में इसकी खेती कर रहे हैं।
दोस्तों अगर आप कम लागत और कम सिंचाई में अधिक लाभ देने वाली फसल उगाना चाहते हैं तो तारामीरा की खेती आपके लिए एक सुनहरा अवसर है। सही समय पर बुवाई और उचित खाद के इस्तेमाल से किसान इससे अच्छा उत्पादन और बेहतर मुनाफा हासिल कर सकते हैं।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी कृषि विशेषज्ञों और उपलब्ध स्रोतों पर आधारित है। खेती से पहले अपने क्षेत्र की जलवायु और मिट्टी के अनुसार स्थानीय कृषि अधिकारी या विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।