सरसों की खेती से लें 15 क्विंटल से ज्यादा उत्पादन और 42% तक तेल मात्रा, जानिए 3 जरूरी काम जो हर किसान को करने चाहिए
अगर आप सरसों की खेती कर रहे हैं और चाहते हैं कि आपकी फसल से अधिकतम उत्पादन और बेहतरीन तेल मात्रा मिले, तो आज की जानकारी आपके लिए बहुत खास है। कई किसान सरसों से बढ़िया मुनाफा तो कमाते हैं लेकिन सही तकनीक और समय पर काम न करने से उनका उत्पादन सीमित रह जाता है। जबकि थोड़ी सी समझदारी और सही समय पर किए गए तीन काम आपकी फसल को 15 क्विंटल प्रति एकड़ से भी ज्यादा उत्पादन और 42% तक तेल मात्रा दे सकते हैं।
सरसों की खेती से मुनाफे का रहस्य
पहला काम: बुवाई के 25 से 35 दिन बाद सही खाद डालना
बुवाई के बाद लगभग एक महीने के भीतर फसल को अतिरिक्त पोषण की जरूरत होती है। अगर आपने शुरुआत में डीएपी डाली थी तो बहुत अच्छा, लेकिन अगर नहीं डाली थी तो अब 25 से 35 दिन के बीच डीएपी खाद डालें। इससे पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं और फूल बनने की क्षमता बढ़ती है। साथ ही एक बैग यूरिया यानी करीब 45 किलो एक एकड़ खेत में डालना जरूरी है। इसी के साथ 10 किलो 21% जिंक सल्फेट और लगभग 3 किलो 80% सल्फर भी डालें। यह मिश्रण मिट्टी की उर्वरकता बढ़ाता है और पौधों को मजबूती देता है।
दूसरा काम: खाद डालने के तुरंत बाद सिंचाई करना
जब आप खाद डाल दें तो तुरंत सिंचाई करें ताकि पौधों को पोषक तत्व अच्छे से मिल सकें। ध्यान रखें कि यह पहली सिंचाई का समय होता है, इसलिए पानी की मात्रा सही रखनी जरूरी है। सूखे खेत में खाद डालना और उसके बाद हल्की सिंचाई करना सबसे प्रभावी तरीका है। इससे जिंक और सल्फर जैसे तत्व पौधों में अच्छी तरह पहुंच जाते हैं, जो फसल की गुणवत्ता और तेल की मात्रा बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं।
तीसरा काम: तीन दिन बाद NPK स्प्रे करना
खाद और सिंचाई के तीन दिन बाद पौधों पर NPK 19:19:19 का घोल छिड़कें। इसके स्थान पर NPK 20:20:20 का उपयोग भी किया जा सकता है। इसके साथ साफ पाउडर (SAAF powder) लगभग 250 से 400 ग्राम प्रति एकड़ के हिसाब से मिलाएं और स्प्रे करें। यह स्प्रे पौधों को संतुलित पोषण देने के साथ-साथ पत्तियों में रोग प्रतिरोधक क्षमता भी बढ़ाता है। इससे फसल का विकास तेजी से होता है और तेल की गुणवत्ता बेहतर बनती है।
अगर आप इन तीन कामों को सही समय पर और सही मात्रा में करते हैं तो आपकी सरसों की फसल से 15 क्विंटल तक उत्पादन और 42% तेल मात्रा लेना मुश्किल नहीं है। यह सिर्फ मेहनत नहीं बल्कि वैज्ञानिक पद्धति से खेती करने का परिणाम है। इसलिए अब आप भी इन तरीकों को अपनाकर अपनी सरसों की खेती को और ज्यादा लाभदायक बना सकते हैं।
Disclaimer:
इस लेख में दी गई जानकारी किसानों के अनुभव और कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर आधारित है। स्थानीय मिट्टी, मौसम और परिस्थितियों के अनुसार किसान इसमें थोड़ा बदलाव कर सकते हैं। किसी भी खाद या स्प्रे का उपयोग करने से पहले अपने नजदीकी कृषि विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें।
