सर्दियों में हरी मटर की खेती बन सकती है किसानों की आमदनी का बड़ा जरिया, कम लागत में मिलेगी शानदार पैदावार
सर्दियों का मौसम शुरू होते ही खेतों में हरियाली छा जाती है और इसी मौसम में हरी मटर की खेती किसानों के लिए सोने पर सुहागा साबित होती है। मटर एक ऐसी सब्जी है जिसकी मांग हर घर में रहती है और इसका इस्तेमाल ज्यादातर हर डिश में किया जाता है। इसीलिए अगर आप इस सर्दी में कोई ऐसी फसल उगाना चाहते हैं जो जल्दी तैयार हो और अच्छा मुनाफा दे तो हरी मटर की खेती आपके लिए सबसे बेहतर विकल्प हो सकती है।
हरी मटर क्यों है खास
मटर की फसल ठंडे मौसम में बहुत अच्छी तरह से पनपती है। इसे रबी सीजन की एक महत्वपूर्ण फलीदार फसल माना जाता है। इसकी जड़ें मिट्टी में नाइट्रोजन को स्थिर करती हैं जिससे अगली फसल के लिए भी खेत उपजाऊ बना रहता है। यानी मटर की खेती से न केवल कमाई होती है बल्कि मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है।
खेती का सही समय और मिट्टी
हरी मटर की बुवाई के लिए अक्टूबर का महीना सबसे उपयुक्त रहता है। अगर मौसम थोड़ा ठंडा है तो नवंबर के पहले सप्ताह तक भी बुवाई की जा सकती है। इसकी खेती के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे अच्छी मानी जाती है जिसमें पानी का निकास अच्छा हो। खेत में पानी रुकना नहीं चाहिए क्योंकि इससे पौधे गल सकते हैं।
बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह जुताई कर लें और उसमें सड़ी हुई गोबर की खाद या जैविक खाद मिलाएं। इससे मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ती है और पौधों की बढ़वार अच्छी होती है। बीजों को बुवाई से पहले फफूंदनाशी दवा से उपचारित करना जरूरी है ताकि रोगों से सुरक्षा मिल सके।
प्रमुख किस्में और पैदावार
किसान भाई अगर ज्यादा उत्पादन और जल्दी फसल चाहते हैं तो उन्हें हरी मटर की बेहतर किस्में अपनानी चाहिए जैसे काशी उदय, काशी शक्ति, हरभजन, आर्केल, जाग्रति, ए3, AP 3 और अर्ली बैजर। ये किस्में जल्दी तैयार हो जाती हैं और उपज भी अधिक देती हैं।
सामान्य तौर पर ये किस्में 60 से 75 दिनों में पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाती हैं। एक हेक्टेयर में इनकी खेती से लगभग 150 से 160 क्विंटल तक हरी फलियों का उत्पादन प्राप्त होता है। बाजार में ताजा मटर की कीमत 40 से 60 रुपये प्रति किलो तक मिलती है जिससे किसानों को प्रति हेक्टेयर लाखों रुपये का मुनाफा हो सकता है।
खेती में ध्यान रखने योग्य बातें
हरी मटर की फसल को नियमित सिंचाई की जरूरत होती है। खासकर फूल आने और फली बनने के समय सिंचाई करना जरूरी है। कीट और रोगों से बचाव के लिए समय-समय पर फसल की निगरानी करें। फली बनने के बाद तुड़ाई में देरी न करें क्योंकि इससे फली सख्त हो जाती है और बाजार मूल्य कम मिल सकता है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो हरी मटर की खेती सर्दियों के सीजन में किसानों के लिए एक सुनहरा मौका है। इसकी लागत कम है, फसल जल्दी तैयार हो जाती है और बाजार में डिमांड हमेशा बनी रहती है। अगर किसान समय पर बुवाई करें और फसल की देखभाल सही तरीके से करें तो मटर की खेती से शानदार मुनाफा कमाया जा सकता है।
डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई जानकारी कृषि विशेषज्ञों और किसानों के अनुभव पर आधारित है। फसल की उपज और बाजार मूल्य स्थानीय परिस्थितियों पर निर्भर कर सकते हैं। खेती करने से पहले अपने नजदीकी कृषि अधिकारी या विशेषज्ञ से सलाह अवश्य लें।
