लहसुन की खेती से किसानों को तगड़ा मुनाफा: जानिए समय, विधि, लागत और उत्पादन

लहसुन की खेती किसानों के लिए एक बेहद फायदेमंद विकल्प है, क्योंकि इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है। लहसुन न केवल स्वाद और सुगंध के लिए बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद माना जाता है, इसी वजह से बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है। किसान भाई यदि सही तरीके और सही समय पर […]
लहसुन की खेती किसानों के लिए एक बेहद फायदेमंद विकल्प है, क्योंकि इसकी मांग पूरे साल बनी रहती है। लहसुन न केवल स्वाद और सुगंध के लिए बल्कि सेहत के लिए भी फायदेमंद माना जाता है, इसी वजह से बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है। किसान भाई यदि सही तरीके और सही समय पर लहसुन की खेती करें तो प्रति एकड़ लाखों रुपये की कमाई कर सकते हैं। खासकर मल्चिंग विधि अपनाने पर उत्पादन अधिक और लागत कम होती है।
लहसुन की खेती मल्चिंग विधि से करने पर किसानों को कई फायदे होते हैं। इससे खरपतवार नियंत्रण में रहते हैं, मिट्टी में नमी बनी रहती है और समय व मजदूरी दोनों की बचत होती है। इस विधि से किसान एक बीघा से 25 क्विंटल तक लहसुन का उत्पादन ले सकते हैं। पिछले साल इसकी कीमत 25 से 27 हज़ार रुपये प्रति क्विंटल तक रही थी।
लहसुन की खेती का समय
लहसुन की बुवाई के लिए अक्टूबर से नवंबर का समय सबसे अच्छा माना जाता है। कई क्षेत्रों में इसे खरीफ और रबी सीजन में भी बोया जाता है। सितंबर के आखिरी सप्ताह में भी इसकी बुवाई की जा सकती है।
खेती की विधि
लहसुन की खेती के लिए दोमट मिट्टी आदर्श रहती है और खेत में पानी नहीं रुकना चाहिए। मध्यम ठंडी जलवायु इसके लिए अनुकूल होती है। खेत की तैयारी के लिए 2-3 बार जुताई करें। कतार की दूरी 15 सेंटीमीटर और बीज की दूरी 7.5 सेंटीमीटर रखें। हल्की सिंचाई करें और शुरुआती 30 दिनों में विशेष ध्यान दें।
लागत और कमाई
लहसुन की खेती से होने वाली कमाई पूरी तरह उत्पादन और गुणवत्ता पर निर्भर करती है। सामान्यतः एक एकड़ में 30 से 50 क्विंटल उत्पादन हो सकता है। बाजार में इसकी कीमत 3000 से 5000 रुपये प्रति क्विंटल तक रहती है। लागत लगभग 1 से 1.5 लाख रुपये प्रति एकड़ आती है और कमाई 7 से 8 लाख रुपये तक हो सकती है।
बरसात में खेती
बरसात के मौसम में लहसुन की खेती करनी हो तो बेड बनाकर और ढलान वाली जमीन पर करनी चाहिए ताकि पानी न रुके। फफूंद से बचाव के लिए फफूंदनाशक का प्रयोग करें और कैल्शियम व बोरोन का छिड़काव करने से कंद बड़े और चमकदार बनते हैं।
खाद और उर्वरक
अच्छा उत्पादन लेने के लिए गोबर की खाद, वर्मी कम्पोस्ट और रासायनिक खाद का संतुलित उपयोग करना चाहिए। खेत की तैयारी के समय और बुवाई के 30-40 दिन बाद यूरिया डालें। 50-60 दिन बाद कैल्शियम नाइट्रेट और जिंक सल्फेट का छिड़काव करें।
मुख्य उत्पादन क्षेत्र
भारत में लहसुन की सबसे ज्यादा खेती मध्य प्रदेश में होती है, जहां कुल उत्पादन का 62% हिस्सा आता है। इसके अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, पंजाब, कर्नाटक और महाराष्ट्र में भी खेती होती है।
हाइब्रिड लहसुन
हाइब्रिड किस्मों की खेती करने पर उत्पादन दोगुना तक बढ़ सकता है। इन किस्मों में रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा होती है और बाजार में अच्छी कीमत भी मिलती है। अक्टूबर-नवंबर में कलियों की रोपाई 5-7 सेंटीमीटर गहराई पर करनी चाहिए।
लोकप्रिय किस्में
भारत में ऊटी लहसुन, G50, G282, GD, इस-42 और 891 प्रमुख किस्में हैं। विदेशी किस्मों में लॉट्रेक व्हाइट, चेसनोक रेड, जॉर्जियन क्रिस्टल और जॉर्जियन फायर लोकप्रिय हैं
लेखक के बारे में

रॉयल बुलेटिन उत्तर भारत का प्रमुख हिंदी दैनिक है, जो पाठकों तक स्थानीय, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय खबरें तेज़, सटीक और निष्पक्ष रूप में पहुँचाता है, हिंदी पत्रकारिता का एक भरोसेमंद मंच !