कम पानी में होगी भरपूर पैदावार, चना की इस नई प्रजाति ने किसानों की किस्मत बदल दी, खेतों में लहलहा रही है दोगुनी फसल
अगर आप किसान हैं और इस बार रबी सीजन में कोई ऐसी फसल लगाना चाहते हैं जिसमें मेहनत कम और मुनाफा ज्यादा हो तो चने की यह नई प्रजाति आपके लिए किसी वरदान से कम नहीं है. इस समय खेतों की तैयारी के साथ किसान मुख्य रबी फसलों की बुवाई में जुटे हैं. चना हमेशा से किसानों के लिए मुनाफे वाली फसल मानी जाती है और अब वैज्ञानिकों ने इसकी एक ऐसी किस्म तैयार की है जो उत्पादन में भी शानदार है और पानी की जरूरत भी बेहद कम पड़ती है.
क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र चियांकी की नई खोज
कब करें बुवाई और कितना खर्च आएगा
कृषि विशेषज्ञ डॉ प्रमोद कुमार के अनुसार चने की बुवाई का उपयुक्त समय 15 अक्टूबर से 15 नवंबर तक माना गया है. इस दौरान अगर किसान सही प्रबंधन के साथ बुवाई करें तो उत्पादन दोगुना तक बढ़ सकता है. पलामू क्षेत्र में लाल चने की खेती बड़े पैमाने पर होती है इसलिए यहां के किसानों को इस नई प्रजाति की बुवाई से बेहतरीन फायदा मिल सकता है.
इस फसल की प्रमुख किस्में पूसा256 और सी235 हैं जिन्हें खासतौर पर कम पानी वाले इलाकों के लिए विकसित किया गया है. यह प्रजाति 125 से 130 दिनों में तैयार हो जाती है और इसमें प्रति हेक्टेयर लगभग 70 से 80 किलो बीज की आवश्यकता होती है.
खाद का सही उपयोग और प्रबंधन
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर किसान खाद और पोषक तत्वों का सही उपयोग करें तो उत्पादन और भी बढ़ सकता है. इसके लिए प्रति हेक्टेयर 25:50:25 के अनुपात में पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. इसमें लगभग 100 किलो डीएपी, 35 किलो एमओपी और 1 किलो बोरोन का प्रयोग अनिवार्य बताया गया है. यह फसल रैनफेड यानी बारिश पर निर्भर क्षेत्रों में भी अच्छा उत्पादन देती है.
किसानों के लिए सुनहरा अवसर
कुल मिलाकर देखा जाए तो यह नई प्रजाति किसानों के लिएमुनाफे का बड़ा जरिया बन सकती है. जहां पहले लोकल बीज से उत्पादन सीमित था वहीं अब कम पानी और कम लागत में ज्यादा पैदावार संभव हो पाई है. ऐसे में अगर किसान इस बीज को अपनाते हैं तो आने वाले समय में उनकी आय में निश्चित रूप से बढ़ोतरी होगी और खेती और भी लाभदायक बनेगी.
Disclaimer:
यह लेख केवल जानकारी साझा करने के उद्देश्य से लिखा गया है. किसी भी फसल या बीज के प्रयोग से पहले अपने स्थानीय कृषि विशेषज्ञ या कृषि विज्ञान केंद्र से सलाह जरूर लें.
