खेल विज्ञान में आत्मनिर्भरता की ओर बड़ा कदम: साई और IIT दिल्ली के बीच समझौता

नई दिल्ली। आत्मनिर्भर भारत के विज़न को साकार करने और खेल विज्ञान को नई ऊंचाई देने के उद्देश्य से भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) के नेशनल सेंटर ऑफ स्पोर्ट्स साइंस रिसर्च (एनसीएसएसआर) और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के बीच मंगलवार को एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
इस साझेदारी का मुख्य उद्देश्य स्वदेशी खेल उपकरण, खेल विज्ञान संबंधी डिवाइस और अत्याधुनिक तकनीक का विकास करना है। इससे आयातित उपकरणों पर निर्भरता कम होगी और सरकार के ‘गर्व से स्वदेशी’ अभियान को खेल क्षेत्र में भी मजबूती मिलेगी।
केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने कहा, “यह साझेदारी मंत्रालय की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जिसमें विज्ञान और प्रौद्योगिकी को खेलों से जोड़कर भारतीय खिलाड़ियों को सशक्त बनाना है ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उच्चतम स्तर की प्रतिस्पर्धा कर सकें। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने सदैव स्वदेशी उत्पादों के उपयोग पर बल दिया है और यह सहयोग उनके विज़न के अनुरूप है।”
साझेदारी के प्रमुख उद्देश्य:
खेल विज्ञान और इंजीनियरिंग में उच्च गुणवत्ता वाले शोध को बढ़ावा देना
खिलाड़ियों के प्रदर्शन को निखारने हेतु नवाचार आधारित प्रोजेक्ट्स शुरू करना
विशेषज्ञों और संस्थानों के बीच ज्ञान साझा करना
चोटों की रोकथाम और खिलाड़ियों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना
इस मौके पर खेल सचिव हरि रंजन राव ने आईआईटी दिल्ली में नव-स्थापित बायोमैकेनिक्स प्रयोगशाला का भी उद्घाटन किया। यह अत्याधुनिक लैब खिलाड़ियों की बायोमैकेनिकल रिसर्च और स्पोर्ट्स साइंस असेसमेंट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। इसका उद्देश्य खिलाड़ियों की मूवमेंट का वैज्ञानिक विश्लेषण करना, प्रदर्शन को बेहतर बनाना और चोटों के जोखिम को कम करना है।
एमओयू पर हस्ताक्षर कार्यक्रम में खेल सचिव हरि रंजन राव, आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रो. रंगन बनर्जी, एनसीएसएसआर निदेशक ब्रिगेडियर (डॉ.) बिभु कल्याण नायक तथा आईआईटी दिल्ली की ओर से डीन (आरएंडडी) प्रो. अश्विनी के. अग्रवाल उपस्थित रहे।