नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र में आज एक दिलचस्प दृश्य देखने को मिला। वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर कैराना की सांसद इकरा हसन ने राष्ट्रगीत पर एक प्रभावशाली और सरल अंदाज़ में अपनी बात रखी। उनका यह भाषण इतना चर्चा में है कि सोशल मीडिया पर भी लगातार शेयर किया जा रहा है। वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ—और सदन में आया एक शांत लेकिन असरदार संबोधन। सांसद इकरा हसन ने राष्ट्रगीत के शब्दों और उसके भाव को बड़े ही सहज तरीके से समझाया। उन्होंने कहा कि वंदे मातरम को हमेशा सम्मान और स्वेच्छा की भावना के साथ अपनाया गया है, और यही इसकी असली ताकत है।
इकरा हसन ने अपने भाषण में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का उदाहरण देते हुए कहा कि उन्होंने यह सुनिश्चित किया था कि राष्ट्रगीत किसी पर थोपा न जाए, बल्कि हर कोई इसे अपनाए—दिल से और सम्मानपूर्वक। जब उन्होंने वंदे मातरम का शाब्दिक अर्थ और उसका संदर्भ रखा, तो सदन के कई सदस्य उनकी बात ध्यान से सुनते नजर आए। कुछ सदस्यों ने आश्चर्य, तो कुछ ने प्रशंसा भी व्यक्त की। इकरा हसन का यह संबोधन अब सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है। लोग इस भाषण को तथ्यपूर्ण, संतुलित और शांतिपूर्ण संदेश देने वाला बता रहे हैं। उनके बोलने का तरीका और तर्कों की स्पष्टता कई ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर चर्चा का विषय बन गई है। वंदे मातरम के 150 साल पर दिया गया यह संदेश, न केवल सदन में बल्कि देशभर में लोगों का ध्यान खींच रहा है।