मुजफ्फरनगर में 16 साल बाद मिला न्याय: किशोर को फांसी पर लटकाने वाले आरोपी को 7 साल की जेल
मुजफ्फरनगर: जनपद में 16 साल पहले हुए एक दिल दहला देने वाले मामले में न्याय की जीत हुई है। अदालत ने उस आरोपी को कड़ी सज़ा सुनाई है जिसने 2009 में एक 16 वर्षीय किशोर को फांसी पर लटकाकर जान लेने की कोशिश की थी। अपर जिला सत्र न्यायाधीश-8 की अदालत ने आरोपी राज सिंह को सात साल के कठोर कारावास और 20 हजार रुपये के आर्थिक दंड की सज़ा सुनाई है। यह फैसला पीड़ित परिवार के लिए 16 साल के लंबे इंतजार के बाद एक बड़ी राहत लेकर आया है।
क्या था पूरा मामला?
स्थिति इतनी गंभीर और भयावह थी कि यदि परिजन समय रहते मौके पर न पहुँचते, तो एक बड़ी दुर्भाग्यपूर्ण घटना घट सकती थी। परिजनों ने तत्काल राहुल को फंदे से उतारा और आनन-फानन में अस्पताल पहुँचाया, जहाँ डॉक्टरों की कड़ी मशक्कत के बाद किशोर की जान बचाई जा सकी।
पुलिस कार्रवाई और कानूनी लड़ाई
पीड़ित किशोर की माँ, मिथिलेश देवी, ने तुरंत स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। उनकी तहरीर पर पुलिस ने आरोपी राज सिंह के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 307 (हत्या का प्रयास) और धारा 452 (घर में अनधिकृत प्रवेश के साथ हमला या गलत तरीके से रोकना) के तहत मुकदमा दर्ज किया।
मामले की गंभीरता को देखते हुए, अभियोजन पक्ष ने प्रभावी ढंग से पैरवी की। शासकीय अधिवक्ता अरुण जावला ने अदालत में सभी सबूतों और गवाहों की गवाही को मज़बूती से पेश किया।
न्याय की जीत: 16 साल बाद फैसला
अपर जिला सत्र न्यायाधीश-8 की पीठासीन अधिकारी नेहा गर्ग की अदालत ने पूरे मामले की सुनवाई की। सभी प्रस्तुत साक्ष्यों, गवाहों के बयानों और कानूनी पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श के बाद, अदालत ने आरोपी राज सिंह को दोषी पाया।
अदालत ने आरोपी को सात साल के कठोर कारावास की सज़ा के साथ-साथ 20,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया। यह फैसला न केवल पीड़ित राहुल और उसके परिवार के लिए न्याय का प्रतीक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि न्याय मिलने में भले ही समय लगे, लेकिन अंततः वह होता ज़रूर है।
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