मुज़फ्फरनगर प्रदूषण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी पर एनजीटी का हंटर, विभागीय जाँच और कार्रवाई के कड़े निर्देश
मुजफ्फरनगर/शामली। पर्यावरण कानूनों की अनदेखी कर प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों को संरक्षण देने वाले अधिकारियों पर अब अदालत ने अपना सख्त रुख अख्तियार कर लिया है। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने एक ऐतिहासिक आदेश जारी करते हुए उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुजफ्फरनगर क्षेत्रीय अधिकारी की कार्यप्रणाली को "कैज़ुअल और गैर-जिम्मेदार" करार दिया है। कोर्ट ने बोर्ड के सचिव को तत्काल प्रभाव से दोषी अधिकारियों के विरुद्ध विभागीय जाँच और कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करने के आदेश दिए हैं।
पर्यावरणविद अमित कुमार ने एनजीटी के समक्ष फैक्ट्री के बिजली बिल और अन्य दस्तावेज पेश कर साबित किया कि साल 2019 में छापे और सीलिंग की कार्रवाई के बावजूद फैक्ट्री में औद्योगिक स्तर की बिजली खपत जारी थी, जिसका अर्थ है कि अवैध संचालन कभी रुका ही नहीं। सुनवाई के दौरान जब मुजफ्फरनगर के क्षेत्रीय अधिकारी से इस पर स्पष्टीकरण माँगा गया, तो वह कोर्ट को संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके।
एनजीटी ने सख़्त लहजे में कहा कि प्रदूषण बोर्ड यह बताने में विफल रहा कि इकाई का अवैध संचालन कब से जारी था। कोर्ट ने अधिकारियों की कर्तव्यहीनता को पर्यावरण के लिए घातक माना है। अब सदस्य सचिव पूरे मामले की विस्तृत जाँच करेंगे और दोषी अधिकारियों की पहचान कर रिपोर्ट तीन महीने के भीतर ट्रिब्यूनल को सौंपेंगे। साथ ही, प्रदूषण फैलाने वाली इकाई से भारी पर्यावरण क्षतिपूर्ति वसूली जाएगी और क्षेत्र में प्रदूषण की रीमेडिएशन (सुधार कार्य) कराई जाएगी।
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