‘पीएम-सीएम को हटाने वाले बिल’ पर टीएमसी के बाद सपा ने भी किया जेपीसी का बहिष्कार
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या किसी भी मंत्री के खिलाफ दर्ज गंभीर आपराधिक मामले में गिरफ्तारी अथवा 30 दिन से ज्यादा हिरासत की स्थिति में पद से हटने का प्रावधान करने वाले संविधान संशोधन बिल को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस बिल की संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) की बैठक का टीएमसी के […]
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विपक्ष का रुख
टीएमसी ने पहले ही इस बिल का बहिष्कार करते हुए कहा था कि यह विधेयक संघीय ढांचे और लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर चोट है। अब सपा ने भी इसी तर्ज पर जेपीसी से दूरी बना ली है। पार्टी नेताओं का कहना है कि इस तरह का कानून विपक्षी नेताओं को राजनीतिक रूप से निशाना बनाने और संवैधानिक संस्थाओं का दुरुपयोग करने का माध्यम बनेगा।
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भाजपा और सहयोगियों का पलटवार
दूसरी ओर, भाजपा और उसके सहयोगी दलों ने विपक्ष पर हमला बोला है। उनका कहना है कि विपक्ष जनता के बीच अपनी साख खो चुका है और अब भ्रष्टाचार व अपराधियों की सुरक्षा को लेकर खड़ा हो रहा है। भाजपा नेताओं ने तर्क दिया कि यदि कोई भी मंत्री गंभीर अपराध में आरोपी होकर जेल जाता है, तो जनता के विश्वास के लिए जरूरी है कि वह अपने पद से हटे।
राजनीतिक घमासान
इस मुद्दे पर संसद और सड़क दोनों पर सियासी टकराव बढ़ गया है। विपक्षी दल इसे “लोकतंत्र के खिलाफ बिल” बता रहे हैं, जबकि सत्ता पक्ष इसे “ईमानदार राजनीति और जवाबदेही की दिशा में कदम” करार दे रहा है।
आने वाले दिनों में इस बिल पर बहस और तीखी होने की संभावना है, क्योंकि विपक्षी दल एकजुट होकर सरकार को घेरने की रणनीति बना रहे हैं, वहीं भाजपा इसे अपने बड़े राजनीतिक हथियार के रूप में जनता के बीच ले जाने की तैयारी में है।
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