ट्रंप ने भारत को दिया एक और झटका, ब्रांडेड दवाओं पर लगाया 100% टैरिफ; भारत का फार्मा एक्सपोर्ट खतरे में, शेयर बाजार गिरा

वाशिंगटन/नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर संरक्षणवादी (Protectionist) नीति का बड़ा ऐलान करते हुए दुनिया को चौंका दिया है। ट्रंप ने ब्रांडेड या पेटेंटेड फार्मास्यूटिकल उत्पादों के आयात पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाने की घोषणा की है। यह फैसला खासकर भारत के लिए एक बड़ा झटका है, जो अमेरिका को जेनेरिक दवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक है। हालांकि, जेनेरिक दवाओं को तात्कालिक छूट मिलने की संभावना से थोड़ी राहत मिली है।
ट्रंप का बड़ा ऐलान और टैरिफ की शर्तें
अमेरिकी राष्ट्रपति ने गुरुवार को ट्रुथ सोशल पर पोस्ट करते हुए इस नए टैरिफ की घोषणा की।
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टैरिफ लागू होने की तिथि: 1 अक्टूबर 2025 से।
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प्रभावित उत्पाद: सभी ब्रांडेड या पेटेंटेड फार्मास्यूटिकल उत्पाद।
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छूट की शर्त: यह टैरिफ केवल तभी लागू नहीं होगा जब संबंधित फार्मा कंपनी अमेरिका में अपना मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बनाना शुरू कर दे। "बिल्डिंग" शब्द की व्याख्या करते हुए ट्रंप ने कहा कि इसका मतलब जमीन तोड़ना या निर्माण शुरू करना है।
ट्रंप का यह कदम स्पष्ट रूप से "अमेरिका में निर्माण" को बढ़ावा देने और आयात पर अमेरिकी स्वास्थ्य प्रणाली की निर्भरता को कम करने का प्रयास है।
भारत पर तात्कालिक और दीर्घकालिक असर
भारत अमेरिका को दवाओं का सबसे बड़ा निर्यातक है। 2024 में भारत का कुल फार्मा निर्यात 27.9 बिलियन डॉलर था, जिसमें से 31% (8.7 बिलियन डॉलर) अकेले अमेरिका को निर्यात किया गया था।
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तत्काल राहत: विशेषज्ञों का मानना है कि चूंकि यह टैरिफ मुख्य रूप से ब्रांडेड दवाओं पर केंद्रित है, इसलिए भारत के मुख्य निर्यात उत्पाद जेनेरिक दवाओं को फिलहाल छूट मिल सकती है।
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दीर्घकालिक चिंता: लंबी अवधि में, ब्रांडेड सेगमेंट में काम करने वाली भारतीय कंपनियों को बड़ा नुकसान हो सकता है। इंडियन इंडस्ट्री बॉडी ईपीपीआई (Pharmexcil) के अनुसार, अमेरिका में इस्तेमाल होने वाली सामान्य दवाओं का 40% हिस्सा भारत से आता है।
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बाजार पर असर: टैरिफ के ऐलान के तुरंत बाद भारतीय शेयर बाजार में असर दिखा। फार्मा इंडेक्स 2.6% गिर गया, और सन फार्मा जैसी बड़ी कंपनियों के शेयर 3.4% तक लुढ़क गए।
अमेरिका की स्वास्थ्य प्रणाली पर उल्टा असर
ट्रंप का यह फैसला अमेरिका के लिए भी मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
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दवाओं की कीमतों में वृद्धि: एएआरपी जैसी संस्थाओं का मानना है कि यह टैरिफ अमेरिकी नागरिकों के लिए दवाओं की कीमतों में बढ़ोतरी करेगा, जिससे अमेरिकी नागरिकों और स्वास्थ्य बीमा पर बोझ बढ़ेगा। यह उन कोशिशों के खिलाफ है जो पहले से ही दवाओं की कीमतें कम करने पर केंद्रित थीं।
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बचत का नुकसान: भारतीय जेनेरिक दवाओं ने 2013-2022 के बीच अमेरिकी स्वास्थ्य प्रणाली को 1.3 ट्रिलियन डॉलर की बचत कराई थी। नए टैरिफ से इस बचत पर असर पड़ेगा।
कई बड़ी फार्मा कंपनियां जैसे एलआई लिली और जॉनसन एंड जॉनसन ने पहले ही अमेरिका में प्लांट बनाने की घोषणा कर दी है, लेकिन छोटी और मध्यम स्तर की कंपनियों के लिए यह शर्त पूरी करना चुनौतीपूर्ण होगा।
राजनीतिक प्रतिक्रिया और अन्य टैरिफ
इस फैसले पर भारत में राजनीतिक पारा हाई हो गया है:
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बीजेपी का रुख: बीजेपी नेताओं और भारतीय व्यापारियों ने दावा किया है कि इस टैरिफ से भारत कमजोर नहीं होगा।
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विपक्ष का हमला: विपक्षी दलों ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला है और कहा है कि इस फैसले से भारतीय अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
ट्रंप ने अपने संरक्षणवादी एजेंडे के तहत फार्मा के अलावा अन्य क्षेत्रों पर भी टैरिफ लगाए हैं, जिनमें हेवी ट्रक्स पर 25%, किचन कैबिनेट्स पर 50%, और फर्नीचर पर 30% टैरिफ शामिल है।