मुज़फ्फरनगर में हिंदू-मुस्लिम सौहार्द की अनूठी मिसाल: 13 वर्षों से भैयादूज और रक्षाबंधन मना रहे मोहित और बुशरा


दोस्ती से शुरू हुआ, सौहार्द में बदला यह रिश्ता
इस परंपरा की शुरुआत दो दोस्तों—झौझगान निवासी वसीम अहमद और फलोदा निवासी बबलू त्यागी—की दशकों पुरानी दोस्ती से हुई। वसीम अहमद के कोई बेटा न होने के कारण, बबलू त्यागी के बेटे मोहित और हितांशु वसीम अहमद की बेटियों को अपनी मुंह बोली बहन मानते हैं।
यह रिश्ता सिर्फ भैयादूज तक ही सीमित नहीं है:
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भैयादूज: हिंदू भाई मोहित और हितांशु हर साल अपनी मुंह बोली मुस्लिम बहनों से तिलक कराते हैं।
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रक्षाबंधन: मुस्लिम बहनें बुशरा परवीन और वसीम अहमद की अन्य बेटियां, अपने हिंदू भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती हैं।
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ईद: दोनों परिवार मिलकर ईद का त्योहार भी उतनी ही धूमधाम से मनाते हैं, जितना कि हिंदू त्योहार।
बृहस्पतिवार को भैया दूज के अवसर पर मोहित त्यागी अपनी मुंह बोली बहन बुशरा परवीन के पास पहुँचे। बुशरा ने पारंपरिक ढंग से मोहित का तिलक किया, जिसके बाद मोहित ने उन्हें उपहार भेंट कर उनका आशीर्वाद लिया। यह घटना कस्बे में एकता और भाईचारे का मजबूत संदेश बनी।
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