बसपा में 8 घंटे का ड्रामा: सुबह लखनऊ-कानपुर प्रभारी बने शमसुद्दीन राईन, दोपहर होते-होते 'गुटबाजी' के आरोप में निष्कासित

आरोप: गुटबाजी और अनुशासनहीनता

निष्कासन के पीछे दो बड़े कारण
पार्टी सूत्रों के अनुसार, शमसुद्दीन राईन के निष्कासन के पीछे दो तात्कालिक कारण बताए जा रहे हैं:
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मायावती का कॉल रिसीव न करना: सूत्रों का दावा है कि लखनऊ व कानपुर मंडल का प्रभारी बनाने के दो घंटे बाद ही शमसुद्दीन राईन के पास पार्टी के एक बड़े नेता का फोन आया, जिसे उन्होंने रिसीव नहीं किया। बाद में पता चला कि यह फोन कॉल खुद बसपा सुप्रीमो मायावती का था, जिसके बाद यह कड़ी कार्रवाई की गई।
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रैली में गुटबाजी: निष्कासन का दूसरा कारण 9 अक्टूबर की रैली से जुड़ा है। आरोप है कि शमसुद्दीन ने अपने प्रभार वाले जिलों से रैली में आने वाले वाहनों पर प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल की तस्वीर वाले होर्डिंग व बैनर नहीं लगने दिया था, जिसे गुटबाजी बढ़ाने वाला कदम माना गया।
शमसुद्दीन राईन की सफाई
निष्कासन के बाद शमसुद्दीन राईन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया। उन्होंने सफाई दी कि बुधवार रात देर से सोने की वजह से वह सुबह जल्दी नहीं जग पाए। "इसी बीच बहन जी का मेरे पास कॉल आया, लेकिन मैं रिसीव नहीं कर पाया। इसके बाद दोपहर में पार्टी से निष्कासन की खबर आ गई।" उन्होंने दावा किया कि उन्होंने कभी कोई गुटबाजी या अनुशासनहीनता का काम नहीं किया।
बूथ कार्यकर्ता से कद्दावर नेता
शमसुद्दीन राईन बसपा में कभी नसीमुद्दीन सिद्दीकी के निष्कासन के बाद एक बड़े मुस्लिम चेहरे के रूप में उभर रहे थे। वह बूथ कार्यकर्ता से संगठन में कद्दावर नेता बने और दिवाली के दिन ही उन्हें बरेली मंडल का दायित्व सौंपा गया था, जिसे गुरुवार सुबह लखनऊ-कानपुर मंडल के प्रभारी के रूप में बदल दिया गया था।
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