नोएडा का बिसाहड़ा मॉब लिंचिंग, योगी सरकार ने दी केस वापसी की अर्जी, 12 दिसंबर का कोर्ट में होगी सुनवाई
वकील बोले- हत्या के केस में सरकार नहीं ले सकती केस वापस
नोएडा । बिसाहड़ा गांव में वर्ष 2015 के अखलाक मॉब लिंचिंग मामले में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा केस वापस लेने के लिए कोर्ट में अर्जी दिए जाने के बाद पीड़ित परिवार की निगाहें अब अदालत के फैसले पर टिक गई हैं। इस बहुचर्चित मामले में अभियोजन की ओर से लगाई गई याचिका पर अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होनी है।
केस वापसी की अर्जी पर वकील ने उठाए सवाल
अखलाक के परिवार के वकील युसूफ सैफी ने पुष्टि की कि सरकार ने धारा-321 के तहत केस वापसी के लिए एक प्रार्थना पत्र न्यायालय में लगाया है, जिसमें राज्यपाल की मंजूरी का हवाला दिया गया है।
वकील सैफी ने इस अर्जी पर गंभीर सवाल उठाते हुए कहा, "इस तरह के केस में सरकार कभी भी केस वापस नहीं ले सकती, क्योंकि मामले में एक व्यक्ति की हत्या हुई है और मॉब लिंचिंग हुई है। मामले में गवाह और साक्ष्य मौजूद हैं।" उन्होंने कहा कि वह अपना पक्ष मजबूती से रखेंगे और यह फैसला न्यायालय करेगा कि केस वापस होगा या नहीं।
गवाही में फंसे पेंच
मामले में इस समय ट्रायल चल रहा है और गवाही जारी है। अखलाक का बेटा दानिश मामले में गवाह है, जबकि चश्मदीद गवाह शाहिस्ता (अखलाक की बेटी) के बयान दर्ज हो चुके हैं।
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आरोपी: एफआईआर में 10 नामजद और 5 अज्ञात समेत कुल 15 लोगों के खिलाफ चार्जशीट आई थी। 2 जुवेनाइल का मामला भी कोर्ट में चल रहा है। सभी आरोपी जमानत पर बाहर हैं।
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मांस का विवाद: अखलाक के अधिवक्ता ने मांस की फॉरेंसिक रिपोर्ट पर भी सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि जिस मांस पर हत्या हुई थी, वह बकरे का मांस था, क्योंकि उसका लाल रंग और सफेद फैट था। उन्होंने कहा कि गाय के मांस (बीफ) का रंग सफेद और फैट का पीला होता है, ऐसे में बकरे का मांस बीफ कैसे होकर आया, यह जांच का विषय है।
यह घटना 28 सितंबर 2015 की रात को थाना जारचा क्षेत्र के बिसाहड़ा गांव में हुई थी, जब गोमांस के सेवन की अफवाह फैलने के बाद भीड़ ने अखलाक के घर पर हमला कर दिया था, जिससे पीट-पीटकर उनकी हत्या कर दी गई थी और उनके बेटे दानिश को गंभीर रूप से घायल कर दिया गया था।
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