'मेज पलटकर सिर पर रख देता था, सांसद हूं इसलिए मजबूर': निगम चुनाव में बोले लक्ष्मी कांत वाजपेयी
कार्यकारिणी चुनाव में भाजपा पार्षदों में बगावत, मतगणना में देरी पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने अफसरों को खूब फटकारा
मेरठ। नगर निगम कार्यकारिणी समिति के छह सदस्यों के चुनाव के लिए सोमवार को मेरठ में सियासी ड्रामा देखने को मिला। भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अंदरूनी कलह के चलते पार्टी में आम सहमति नहीं बन सकी और पार्षदों ने बगावती तेवर दिखाते हुए निर्धारित संख्या से अधिक नामांकन कर दिए।
सांसद की फटकार से हड़कंप
चुनाव के दौरान मतगणना में देरी और कथित गड़बड़ी से गुस्साए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और राज्यसभा सांसद लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने निगम कार्यालय में जमकर गुस्सा निकाला। उन्होंने अफसरों को सबके सामने कड़े शब्दों में फटकार लगाई, जिससे अधिकारियों के हाथ-पैर फूल गए।
उग्र तेवर दिखाते हुए वाजपेयी ने कहा, "सांसद जी नहीं, सुनो मेज पलटनी छोड़ दी है मैंने, नहीं तो मेज पलटकर सिर पर रख देता था। सांसद बन गया हूं, मेरी मजबूरी है कि मैं सांसदों की लिस्ट में आ गया हूं।" उन्होंने चुनाव अधिकारी से कहा कि "बस सूखा खाना ही जानते हो, भूल रहे हो ये मेरठ है।"
जांच और नौकरी खाने की चेतावनी
गुस्साए सांसद इतने पर ही नहीं रुके। गिनती के दौरान हुए विवाद पर उन्होंने चुनाव अधिकारी से कहा कि उनकी भूमिका संदेह के घेरे में है और वह इसकी जांच कराएंगे।
शाम के समय हुए विवाद के दौरान उन्होंने अधिकारियों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा, "इस पूरे चुनाव की जांच भी अभी होगी और अगर आपकी ज़रा भी लापरवाही या गलती मिली तो आपकी नौकरी मैं खा जाऊंगा। मुझे किसी का डर नहीं है, अकेला आया था अकेला जाऊंगा, लेकिन जो पार्टी की छवि धूमिल करने का प्रयास हुआ है, इसको मैं बर्दाश्त नहीं कर सकता। मैं सिर्फ इस कमल के फूल के साथ हूं।" अधिकारियों ने हाथ जोड़कर अपनी गलती स्वीकार की और बड़ी मुश्किल से सांसद को शांत किया गया।
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