नोएडा। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण ने जल प्रदूषित करने वाले बिल्डरों पर कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है। एसटीपी के अक्रियाशील मिलने और सीवरेज को शोधित किए बिना नाले में गिराने पर प्राधिकरण के सीवर विभाग ने शुक्रवार को 7 बिल्डरों पर 54 लाख रुपए की पेनल्टी लगाई है। पेनल्टी की रकम शीघ्र जमा कराने और दोबारा जांच में कमी मिलने पर एफआईआर दर्ज कराने, लीज डीड और भवन नियमावली की शर्तों के अनुरूप कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है।
ग्रेटर नोएडा से निकलने वाले सीवरेज को शत-प्रतिशत शोधित कर रियूज करने के लिए प्राधिकरण प्रयासरत है। सीईओ एनजी रवि कुमार के निर्देश पर प्राधिकरण ग्रेटर नोएडा वेस्ट में एसटीपी का निर्माण करा रहा है और अब आईटी सिटी में भी एसटीपी बनाने को मंजूरी दी है, लेकिन ग्रेटर नोएडा के कुछ बिल्डर बहुमंजिला आवासीय इमारतों से निकलने वाले सीवेज को शोधित करने में लापरवाही बरत रहे हैं। सीवेज को शोधित किए बिना ही नालों में गिराने का प्रयास कर रहे हैं। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के सीवर विभाग ने ऐसे बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है।
एसीईओ प्रेरणा सिंह ने बताया कि प्राधिकरण ने 7 बिल्डरों पर 54 लाख रुपए की पेनल्टी लगाई है। इनमें सेक्टर एक स्थित राजहंस रेजिडेंसी, पैरामाउंट इमोशंस, देविका होम्स, कैपिटल एथिना और पंचशील हाइनिस, टेकजोन- 4 स्थित जेएम फ्लोरेंस और सेक्टर 16 स्थित पंचशील ग्रीन्स -2 शामिल हैं। प्राधिकरण ने जुर्माने की रकम एनजीटी के खाते में जमा कराने के निर्देश दिए हैं। चालान की एक प्रति प्राधिकरण को उपलब्ध कराने को कहा है। साथ ही सीवेज को शोधित कर साफ पानी को रियूज करने को कहा है। उन्होंने कहा कि प्राधिकरण की टीम दोबारा एसटीपी की जांच करने जाएगी और अगर खामी पाई जाती है तो एनजीटी और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से पारित आदेशों के अनुसार सीआरपीसी की धाराओं में एफआईआर दर्ज कराने और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की लीज डीड एवं भवन नियमावली के शर्तों के अनुसार कार्रवाई की भी चेतावनी दी गई है।
एसीईओ ने बताया कि सीवरेज को शत-प्रतिशत शोधित करने और साफ पानी को रियूज करने के लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण प्रयासरत है। यह प्रयास तभी सफल हो सकता है, जब ग्रेटर नोएडा के निवासी भी इसमें सहयोग करेंगे। बिल्डर सोसायटियों से निकलने वाले सीवरेज को शोधित करने के लिए एसटीपी को चलना अनिवार्य है। बिना शोधित किए सीवरेज को नाले में गिराने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सीवर विभाग की टीम सोसाइटियों में बने एसटीपी और उससे शोधित पानी की नियमित रूप से जांच करती रहेगी।