दिघौरा में विधायक पर हमले के 11 दिन बाद भी दहशत कायम, खाली पड़े घर और खौफ में कैद महिलाएं चुनावी माहौल पर भारी
Bihar Election 2025: गया जिले के टेकारी विधानसभा क्षेत्र के दिघौरा गांव में विधायक अनिल कुमार पर हुए कथित जानलेवा हमले के 11 दिन बीत चुके हैं, लेकिन गांव का माहौल आज भी डर से कांप रहा है। पूरे गांव के पुरुष या तो भाग गए हैं या छुपे हुए हैं, जबकि महिलाएं और बच्चे घरों से निकलने में भी डर रहे हैं। गांव में सन्नाटा पसरा है और मतदान से पहले ऐसी स्थितियों ने चुनावी माहौल को और जटिल बना दिया है।
वोटिंग में कमी की आशंका
हमले की शुरुआत सड़क विवाद से, फिर बढ़ा तनाव
29 अक्टूबर की शाम को विधायक अनिल कुमार अपने काफिले के साथ दिघौरा पहुंचे थे। ग्रामीणों ने उनसे गांव की जर्जर सड़क की शिकायत की और उन्हें कार से उतरकर उसी सड़क पर चलने को कहा। बहस बढ़ी और देखते ही देखते माहौल हिंसक हो गया। पथराव हुआ, सुरक्षाकर्मियों द्वारा फायरिंग का आरोप लगा और विधायक सहित कई लोग घायल हुए। वाहनों को निशाना बनाया गया और लूटपाट की शिकायतें भी सामने आईं।
हम पार्टी ने बताया हत्या की साजिश
हम पार्टी के नेता घटना को हत्या की साजिश बता रहे हैं और सीधे आरजेडी पर उंगली उठा रहे हैं। उनका कहना है कि विपक्ष टेकारी में ‘जंगलराज’ लाने की कोशिश कर रहा है। दूसरी ओर विपक्ष का तर्क है कि यह जनता का लोकतांत्रिक विरोध था और प्रशासन ने मामले को सांप्रदायिक और जातिगत रंग देकर दबाव बनाने की कोशिश की है। राजनीतिक घमासान ने गांव की तनावग्रस्त स्थिति को और जटिल कर दिया है।
पुलिस कार्रवाई पर ग्रामीणों का गुस्सा फूटा
हमले के बाद पुलिस ने 44 नामजद और 150 अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें अधिकतर ओबीसी समुदाय के हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि आधी रात को पुलिस ने घरों में धावा बोला, बच्चों और महिलाओं को भी नहीं छोड़ा और जबरन गांव में दहशत फैलाई। कई महिलाएं बताती हैं कि पिछले कई दिनों तक पुलिस का डर उन्हें सोने नहीं दे रहा था।
घटनास्थल पर सड़क निर्माण अचानक तेज
जिस सड़क को लेकर विवाद शुरू हुआ था, अब वहां बुलडोजर और रोलर लगातार काम कर रहे हैं। सड़क मरम्मत का काम तेज गति से चल रहा है, जिससे ग्रामीण सवाल उठा रहे हैं कि जो सड़क वर्षों से खराब पड़ी थी, वह अचानक चुनाव के ठीक पहले कैसे बन रही है। प्रशासन का कहना है कि बारिश के कारण काम पहले रुक गया था और इसका चुनाव से कोई संबंध नहीं है।
टेकारी में जातीय समीकरणों पर असर, ध्रुवीकरण की आशंका
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह पूरा विवाद टेकारी के जातिगत समीकरणों को प्रभावित कर सकता है। अनिल कुमार भूमिहार समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं जबकि उनके मुख्य प्रतिद्वंद्वी राजद के अजय दांगी ओबीसी समुदाय से आते हैं। ऐसी स्थिति में घटना के बाद ध्रुवीकरण का खतरा बढ़ गया है। जन सुराज के शशि यादव भी मैदान में हैं, जिससे मुकाबला और दिलचस्प हो रहा है।
एनडीए की डैमेज कंट्रोल कोशिशें और विपक्ष के आरोप
घटना के बाद एनडीए नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हमले को बड़ी साजिश बताया और कहा कि वे मजबूती से मुकाबला करेंगे। चिराग पासवान ने टेकारी में रैली कर अनिल कुमार को समर्थन दिया और कहा कि एनडीए की डबल इंजन सरकार फिर लौटेगी। वहीं विपक्ष का कहना है कि प्रशासन निर्दोषों को फंसाने में लगा है और गांव में तनाव इसलिए बढ़ा क्योंकि सरकार ने मामले को राजनीतिक रंग दिया।
डर का माहौल, मतदान में गिरावट की आशंका
11 नवंबर को टेकारी में मतदान है लेकिन दिघौरा जैसे गांवों में तनाव की वजह से वोटिंग टर्नआउट प्रभावित होने का खतरा है। कुछ ग्रामीणों ने बताया कि वे पुलिस कार्रवाई से इतने डरे हुए हैं कि मतदान के दिन घर से बाहर निकलने की हिम्मत नहीं कर पाएंगे। हालांकि कई लोग कहते हैं कि सड़क जैसी समस्याओं पर वोट जरूर डालेंगे, बशर्ते प्रशासन उन्हें सुरक्षा का भरोसा दे।
