मोकामा हत्याकांड से गरमाई बिहार की सियासत: ‘जंगलराज बनाम गुंडाराज’ की जंग में उतरे तेजस्वी और नड्डा
Bihar News: मोकामा की धरती एक बार फिर राजनीति के तूफान का केंद्र बन गई है। 30 अक्टूबर को बाहुबली और सामाजिक कार्यकर्ता दुलारचंद यादव की हत्या ने बिहार के चुनावी परिदृश्य को पूरी तरह बदल दिया है। यह घटना न केवल एक आपराधिक वारदात मानी जा रही है, बल्कि इसे जंगलराज बनाम गुंडाराज की नई बहस के रूप में देखा जा रहा है। महागठबंधन और एनडीए दोनों ही गठबंधन इस हत्याकांड को अपने-अपने राजनीतिक एजेंडे के अनुसार भुनाने में जुट गए हैं।
महागठबंधन ने इस घटना को एनडीए सरकार की नाकामी करार दिया
उन्होंने इस हत्या को “महाजंगलराज का प्रतीक” बताया और कहा कि बिहार में लोकतांत्रिक मूल्यों की हत्या की जा रही है।
वहीं बिहार कांग्रेस ने अपने आधिकारिक एक्स (X) हैंडल पर लिखा, “मोकामा में कल हत्या, आज शवयात्रा में गोलीबारी—यह है बिहार की कानून-व्यवस्था की असली तस्वीर।” कांग्रेस ने सरकार से पूछा कि क्या यही “सुशासन का राज” है, जिसकी दुहाई एनडीए देता रहा है?
एनडीए का पलटवार-आरजेडी का डीएनए गुंडागर्दी का पर्याय
भाजपा-जदयू गठबंधन ने भी इस पर जोरदार पलटवार किया है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि -“आरजेडी के लोग बदले नहीं हैं, उनके डीएनए में गुंडागर्दी, जंगलराज और अपहरण उद्योग बस चुका है।” नड्डा ने कहा कि आज जो आरोप एनडीए पर लगाए जा रहे हैं, वही अपराध संस्कृति आरजेडी की पहचान रही है। उन्होंने इसे महागठबंधन की दोहरी राजनीति बताया और कहा कि “आरजेडी हिंसा पर रोती है, लेकिन अपराधियों को संरक्षण भी देती है।”
प्रशांत किशोर का तंज-चुनावी हिंसा बिहार की पुरानी बीमारी
जनसुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर (PK) ने कहा कि बिहार में चुनावों के दौरान हिंसा कोई नई बात नहीं है। उन्होंने कहा- “जिस बिहार में कभी जंगलराज की चर्चा होती थी, आज भी वहां चुनावी हिंसा और खून-खराबा उसी परंपरा की याद दिला रहा है।” PK ने कानून-व्यवस्था को लेकर सरकार पर सवाल उठाए और कहा कि जनता अब अपराध की राजनीति से तंग आ चुकी है।
कार्रवाई के संकेत
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने मोकामा में हुई हिंसक घटना पर तत्काल संज्ञान लिया है।
मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने बिहार के डीजीपी विनय कुमार से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
आयोग ने बिहार के वरिष्ठ प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों के साथ हुई वर्चुअल मीटिंग में स्पष्ट निर्देश दिए कि “जांच शीघ्र और निष्पक्ष हो।” सूत्रों के अनुसार, आयोग की रिपोर्ट आने के बाद मोकामा विधानसभा सीट पर विशेष निगरानी व्यवस्था लागू की जा सकती है।
जातीय राजनीति में नई हलचल
मोकामा का यह हत्याकांड सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि चुनावी गणित को हिला देने वाली घटना बन चुका है। यहां जातीय और प्रभाव आधारित राजनीति हमेशा से अहम भूमिका निभाती रही है।
महागठबंधन इस हत्या को “सत्ता के अहंकार और सुरक्षा तंत्र की विफलता” बताकर चुनावी माहौल भुनाने की कोशिश कर रहा है, जबकि एनडीए इसे “जंगलराज की वापसी” के रूप में प्रचारित कर अपने वोटबैंक को मजबूत करने में लगा है। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में यह घटना बिहार चुनाव की सबसे बड़ी राजनीतिक बहस बनने जा रही है।
