मुजफ्फरपुर में चुनावी विरासत की लड़ाई: पिता की गद्दी, पत्नी की उम्मीद और बेटी की नई उड़ान
Bihar News: मुजफ्फरपुर जिले में विधानसभा चुनाव का तापमान इस समय चरम पर है। छह नवंबर को होने वाले मतदान से पहले चार नवंबर तक प्रचार का शोर थम जाएगा, लेकिन उससे पहले हर उम्मीदवार अपनी पूरी ताकत झोंकने में जुटा है। भीड़, नारे, जनसभाएं और स्टार प्रचारकों का आना-जाना-सब मिलकर यह दर्शा रहे हैं कि इस बार का विधानसभा चुनाव सिर्फ सत्ता की नहीं, बल्कि पारिवारिक विरासत और सियासी प्रतिष्ठा की जंग भी है।
चुनावी मैदान में नया जोश
औराई में 'पति की विरासत' का संघर्ष
मुजफ्फरपुर लोकसभा के पूर्व सांसद अजय निषाद की राजनीतिक यात्रा हमेशा विरासत से जुड़ी रही है। उनके पिता कैप्टन जयनारायण निषाद ने जिस राजनीतिक पहचान की नींव रखी थी, वही अब आगे बढ़ रही है। अजय निषाद स्वयं भी विरासत संभालते रहे हैं, लेकिन इस बार उनकी पत्नी रमा निषाद औराई से चुनावी अखाड़े में उतरी हैं। भाजपा ने उन्हें टिकट देकर महिला सशक्तिकरण और पारिवारिक राजनीतिक विरासत – दोनों का समन्वय साधा है। पति-पत्नी दोनों एक साथ प्रचार में जुटे हैं, और जीत की आस इस बार परिवार के नए चेहरे से जुड़ गई है।
मां-बाप की सियासी विरासत फिर दांव पर
वैशाली सांसद वीणा देवी और एमएलसी दिनेश प्रसाद सिंह की बेटी कोमल सिंह भी जदयू से इस बार चुनावी रण में हैं। युवा और शिक्षित चेहरा होने के नाते वे पार्टी के प्रचार में विशेष आकर्षण बन चुकी हैं। वे पहले भी गायघाट से चुनाव लड़ चुकी हैं, हालांकि तब जीत उनसे दूर रह गई थी। इस बार वे पूरी तैयारी और नई रणनीति के साथ मैदान में हैं। मुख्यमंत्री खुद उनकी सभा में पहुंचे, जिससे यह साफ हो गया कि पार्टी भी कोमल की उम्मीदों पर बड़ा दांव लगा चुकी है। चुनावी मंचों पर युवा ऊर्जा और महिला नेतृत्व की झलक साफ दिख रही है।
मतदाता तय करेंगे रास्ता
मुजफ्फरपुर जिले का यह चुनाव केवल राजनीतिक दलों की ताकत का नहीं, बल्कि राजनीतिक घरानों की अगली पीढ़ी के इम्तिहान का भी मैदान है। जहां एक ओर पिता की गद्दी संभालने का अवसर है, वहीं पत्नी के हाथों प्रतिष्ठा बचाने की चुनौती भी है। बेटियों के रूप में नई ऊर्जा और महिला सियासत की नई इबारत भी लिखी जा रही है। कौन जीतता है और कौन हारता है, यह जनता तय करेगी, लेकिन इतना तय है—इस बार चुनाव में विरासत और नई पीढ़ी का संगम देखने लायक होगा।
