हरियाणा: अमित शाह करेंगे फरीदाबाद में उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की 32वीं बैठक की अध्यक्षता
नई दिल्ली। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह, सोमवार को हरियाणा के फरीदाबाद में उत्तरी क्षेत्रीय परिषद की 32वीं बैठक की अध्यक्षता करेंगे। उत्तरी क्षेत्रीय परिषद में हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर, लद्दाख और चंडीगढ़ राज्य/ संघ राज्यक्षेत्र शामिल हैं। भारत सरकार, राज्य सरकारों, और संघ राज्यक्षेत्रों के वरिष्ठ अधिकारी भी परिषद की इस बैठक में भाग लेंगे।
क्षेत्रीय परिषद ने मुख्य सचिवों के स्तर पर एक स्थायी समिति का भी गठन किया है। राज्यों द्वारा प्रस्तावित मुद्दों को पहले क्षेत्रीय परिषद की स्थायी समिति के समक्ष चर्चा के लिए प्रस्तुत किया जाता है, जिनमें विचार के बाद शेष बचे मुद्दों को क्षेत्रीय परिषद की बैठक में विचार के लिए प्रस्तुत किया जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सहकारी संघवाद के आधार पर 'टीम भारत' की कल्पना देश के सामने रखी है और क्षेत्रीय परिषदें इस दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दे रही हैं। क्षेत्रीय परिषदें मजबूत राज्य ही मजबूत राष्ट्र बनाते हैं की भावना से काम करती हैं। परिषदें दो या अधिक राज्यों अथवा केंद्र और राज्यों को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर, संवाद और चर्चा के लिए एक व्यवस्थित तंत्र, तथा इसके जरिए आपसी सहयोग को बढ़ाने के लिए मंच प्रदान करती हैं।
क्षेत्रीय परिषदों की भूमिका सलाहकारी है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में ये परिषदें विभिन्न क्षेत्रों में आपसी समझ और सहयोग के स्वस्थ बंधन को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण कारक साबित हुई हैं। सभी राज्य सरकारों, केंद्रीय मंत्रालयों और विभागों के सहयोग से पिछले ग्यारह वर्षों में (जून 2014 से अब तक) विभिन्न क्षेत्रीय परिषदों और इनकी स्थायी समितियों की कुल 63 बैठकें आयोजित हुईं है। क्षेत्रीय परिषदें, केंद्र और सदस्य राज्यों/ संघ राज्यक्षेत्रों के बीच, सदस्य राज्यों/ संघ राज्यक्षेत्रों के मध्य, तथा क्षेत्र के मुद्दों और विवादों को हल करने और उन पर प्रगति लाने के लिए एक श्रेष्ठ मंच प्रदान करती है।
ये परिषदें, राष्ट्रीय महत्व के व्यापक मुद्दों पर भी चर्चा करती हैं, जिनमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ दुष्कर्म के मामलों की त्वरित जांच और इनके शीघ्र निपटान के लिए फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (एफटीएससी) का कार्यान्वयन, प्रत्येक गांव के नियत दायरे में ब्रिक-एंड-मोर्टार बैंकिंग सुविधा प्रदान करना, आपातकालीन सहायता प्रणाली का कार्यान्वयन (ईआरएसएस-112) तथा पोषण, शिक्षा, स्वास्थ्य, विद्युत सुधार, शहरी प्लानिंग, सहकारिता व्यवस्था का सुदृढीकरण आदि सहित क्षेत्रीय स्तर के सामान्य हित के विभिन्न मुद्दे शामिल हैं।
