भारत तैयार 2030 राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी के लिए: आईओए ने बनाई नौ सदस्यीय समिति, जल्द होगा ‘होस्ट कोलेबोरेशन एग्रीमेंट’ पर साइन


बड़े करार की ओर भारत का कदम

नौ सदस्यीय समिति हुई गठित
होस्ट कोलेबोरेशन एग्रीमेंट को तैयार करने और उस पर अंतिम रूप देने के लिए आईओए ने नौ सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति की अध्यक्षता लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह करेंगे। समिति में खिलाड़ी, प्रशासक और खेल प्रबंधन के विशेषज्ञों को शामिल किया गया है, ताकि हर स्तर पर संतुलन बना रहे। इनमें राजलक्ष्मी सिंह देव, गगन नारंग, कल्याण चौबे, अलकनंदा अशोक, अमिताभ शर्मा, रोहित राजपाल, सहदेव यादव और भूपिंदर सिंह बाजवा जैसे नाम शामिल हैं।
पिछले अनुभवों से मिले सबक
भारत ने पिछली बार 2010 में दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेलों की मेजबानी की थी। उस समय भी मेजबान सहयोग समझौता (HCA) सीजीएफ, आईओए, केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच हुआ था। प्रारंभिक अनुमान लगभग 1800 करोड़ रुपये के खर्च का था, लेकिन कुल व्यय 1115 करोड़ रुपये से अधिक पहुंच गया। इस लागत में इन्फ्रास्ट्रक्चर का खर्च शामिल नहीं किया गया था। इस बार आईओए और सरकार ने पारदर्शिता और संसाधन प्रबंधन पर विशेष जोर देने का निर्णय लिया है।
गुजरात बनेगा खेलों का ‘पावर सेंटर’
आईओए के अनुसार 2030 राष्ट्रमंडल खेलों के आयोजन में गुजरात सरकार, केंद्रीय खेल मंत्रालय और आईओए — तीनों प्रमुख भागीदार रहेंगे। आयोजन का मुख्य केंद्र गुजरात होगा, जहां विश्वस्तरीय खेल सुविधाओं का निर्माण पहले से प्रारंभिक चरण में है। एचसीए में कानूनी, परिचालन, व्यवसायिक तथा सुरक्षा संबंधी सभी महत्वपूर्ण बिंदु शामिल होंगे, ताकि भारत को खेल आयोजन में किसी प्रकार की बाधा या विवाद न झेलना पड़े।
एथलीटों और देशहित को रखा जाएगा सर्वोपरि
लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह ने कहा कि समिति का उद्देश्य केवल समझौते पर हस्ताक्षर कराना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि भारत के हितों को सर्वप्रथम रखा जाए। उन्होंने कहा कि “हमारा लक्ष्य है कि भारतीय एथलीटों को किसी प्रकार की दिक्कत न आए और देश की प्रतिष्ठा विश्व मंच पर और बढ़े।” उन्होंने आश्वासन दिया कि संपूर्ण प्रक्रिया पारदर्शिता, जवाबदेही और पेशेवर दक्षता पर आधारित होगी।
वैश्विक मंच पर भारत की साख मजबूत करने का अवसर
2030 राष्ट्रमंडल खेल भारत के लिए केवल एक आयोजन नहीं बल्कि वैश्विक पहचान का अवसर हैं। 2010 के बाद पहली बार भारत फिर से कॉमनवेल्थ मंच पर दुनिया के सामने अपनी क्षमता दिखाने को तैयार है। सरकार और आईओए दोनों की मंशा स्पष्ट है - यह आयोजन भारत की खेल उपलब्धियों, आतिथ्य और प्रशासनिक दक्षता का विश्वव्यापी प्रदर्शन होगा।