एक बच्चे की मिस कॉल बनी बड़ा संदेश: हरियाणा DGP ओपी सिंह ने मोबाइल की लत के खिलाफ शुरू की समाज को झकझोरने वाली मुहिम


अभिभावकों से की भावनात्मक अपील

मिस कॉल से शुरू हुआ जागरूकता का अभियान
जब ओपी सिंह के फोन पर कॉल आई, उन्होंने उसे वापस किया। दूसरी ओर एक व्यक्ति ने रिसीव किया और बताया कि कॉल उसके बच्चे ने गलती से कर दी थी। बातचीत के बाद ओपी सिंह ने महसूस किया कि यह छोटी सी गलती बड़ी सीख छोड़ सकती है। उन्होंने तुरंत इसे एक जागरूकता अभियान का रूप दिया और सभी माता-पिता से अपील की कि वे अपने बच्चों को डिजिटल लत से बचाएं।
सोशल मीडिया बना संदेश का माध्यम
इसके बाद डीजीपी ने एक वीडियो जारी किया, जिसमें उन्होंने मोबाइल फोन के अत्यधिक उपयोग से होने वाले मानसिक और शारीरिक दुष्प्रभावों को सरल तरीके से समझाया। इस वीडियो में बच्चों के मस्तिष्क पर स्क्रीन टाइम के नकारात्मक असर को दर्शाने वाले उदाहरण दिए गए। साथ ही, उन्होंने वीडियो का सरल हिंदी सारांश साझा किया ताकि ग्रामीण और शहरी दोनों वर्ग के लोग इसे आसानी से समझ सकें।
‘एक्स’ हेंडल से फैला सामाजिक संदेश
ओपी सिंह ने अपने आधिकारिक ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) हेंडल से इस पूरे अनुभव और वीडियो को साझा कर समाज को संवेदनशील बनाया। उन्होंने कहा कि डिजिटल युग में बच्चों का संतुलित विकास तभी संभव है जब माता-पिता उनकी ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखें। उन्होंने सभी पुलिस अधिकारियों को भी निर्देश दिए कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में इस संदेश को फैलाएं और अपने परिवारों में भी इसका पालन करें।
पुलिस का मानवीय चेहरा
डीजीपी ओपी सिंह का यह कदम इस बात की मिसाल है कि पुलिस केवल कानून-व्यवस्था की रखवाली नहीं करती, बल्कि समाज के मानसिक और नैतिक स्वास्थ्य की संरक्षक भी है। उनके इस प्रयास को सोशल मीडिया पर व्यापक समर्थन मिल रहा है। लोग इसे “संवेदनशील पुलिसिंग” का उदाहरण बता रहे हैं, जो अनुशासन के साथ मानवता का संतुलन बनाती है।
मोबाइल से नहीं, बचपन से जोड़ें बच्चे
अब यह मुहिम हरियाणा के विभिन्न शहरों और स्कूलों तक पहुंच चुकी है। शिक्षकों, अभिभावकों और समाजसेवियों ने ओपी सिंह की पहल को सराहा है। यह मुहिम न केवल बच्चों को बचपन लौटाने की दिशा में कदम है बल्कि एक आधुनिक समाज के सचेत भविष्य का प्रतीक भी बनती जा रही है।