दीपावली की चमक में घुला जहर - इंदौर-ग्वालियर की हवा ‘गंभीर श्रेणी’ में, साँस लेना हुआ मुश्किल


आंकड़े बोले - शहरों की हवा में जहर

- ग्वालियर 410 प्रदेश का सबसे प्रदूषित शहर
- इंदौर 404 गंभीर श्रेणी में
- भोपाल 329 बहुत खराब श्रेणी
- उज्जैन 320 सांस के मरीजों के लिए खतरनाक
MPPCB के अनुसार, दीपावली की रात आतिशबाजी से निकलने वाले सूक्ष्म कणों (PM 2.5 और PM 10) की मात्रा में भारी बढ़ोतरी हुई। ठंड के कारण वायु घनत्व बढ़ा और हवा की गति कम होने से प्रदूषक ऊपर नहीं उठ सके। नतीजा यह हुआ कि जहरीले कण हवा में अटके रहे, जिससे AQI लगातार खतरनाक स्तर पर बना रहा। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह मौसमीय परिस्थितियों के साथ-साथ मानवीय लापरवाही का भी परिणाम है।
4. सांस और स्वास्थ्य पर गहरा असर
वायु गुणवत्ता बिगड़ने का सबसे अधिक असर बच्चों, बुजुर्गों और अस्थमा के मरीजों पर देखा गया। मेडिकल विशेषज्ञों का कहना है कि जब AQI 300 के पार चला जाता है, तो हवा में मौजूद सूक्ष्म कण सीधे फेफड़ों में घुसकर उन्हें नुकसान पहुंचाते हैं। इससे अस्थमा, ब्रोंकाइटिस और हृदय संबंधी रोगों की स्थिति और बिगड़ सकती है। लोगों को इस समय मास्क पहनने, घरों में एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करने और बाहरी गतिविधियों को सीमित करने की सलाह दी जा रही है।
जागरूक दीपावली की जरूरत
पर्यावरण विशेषज्ञों का कहना है कि दीपावली सिर्फ उत्सव का नहीं, बल्कि जिम्मेदारी का भी समय है। हर वर्ष प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है और इसका असर लंबे समय तक स्थायी हो रहा है। मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इस बार ‘ग्रीन पटाखों’ के प्रयोग की अपील की थी, लेकिन इसका असर सीमित रहा। अब जरूरत है कि सरकार निगरानी बढ़ाए, स्कूलों से लेकर समाज तक जागरूकता अभियान चलाए, ताकि अगली दिवाली पर रोशनी के साथ साफ हवा भी जश्न में शामिल हो सके।