नेहरू बोले - ‘ये कैसा अजूबा है!’ जब मध्य प्रदेश का नक्शा देखकर चौंक उठे थे प्रधानमंत्री
Madhya Pradesh News: 1 नवंबर 1956 को अस्तित्व में आया मध्य प्रदेश, अब अपनी 70वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है। इन सात दशकों में इस राज्य ने राजनीति, संस्कृति और विकास के सभी मोर्चों पर खुद को साबित किया है। आज इंदौर लगातार आठवीं बार देश के सबसे स्वच्छ शहर का खिताब बनाए हुए है, जो प्रदेश की प्रगति की मिसाल है।
आजादी के बाद का नक्शा और विभाजन
नेहरू भी रह गए दंग
10 अक्टूबर 1955 को जब राज्य पुनर्गठन आयोग ने प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के सामने अपनी रिपोर्ट रखी, तब मध्य प्रदेश के नक्शे को देखकर वे चौंक उठे। उन्होंने कहा, "अरे! यह तो कुछ अजूबा-सा प्रदेश बन रहा है!" कई नेताओं ने भी इस प्रस्ताव का विरोध किया, मगर अंततः 1 नवंबर 1956 को वर्तमान मध्य प्रदेश का जन्म हुआ।
विधानसभा की पहली बैठक और नई परंपरा
17 दिसंबर 1956 को प्रदेश विधानसभा का पहला सत्र आरंभ हुआ, जिसमें कुल 328 सदस्य थे, जिनमें 12 महिलाएं भी शामिल थीं। इस सत्र में विधायक हीरालाल शर्मा ने हाथ मिलाने की परंपरा का विरोध किया और कहा कि यह अंग्रेजी सभ्यता का प्रतीक है। तब से सदस्यों द्वारा नमस्कार करने की परंपरा शुरू हुई।
राजधानी की जंग: इंदौर से जबलपुर तक
राज्य बनने के बाद अगला बड़ा सवाल था - राजधानी कौन बनेगा? राज्य पुनर्गठन आयोग ने जबलपुर की संस्तुति दी थी, लेकिन राजनीति का खेल पलट गया। खबरें आईं कि शहर के प्रभावशाली लोगों ने जमीनें खरीद रखी थीं, जिससे भ्रष्टाचार की आशंका उठी और अंततः जबलपुर दौड़ से बाहर हुआ। तभी भोपाल का नाम उभरा।
भोपाल पर नेहरू का स्नेह
उस दौर में भोपाल के मुख्यमंत्री शंकरदयाल शर्मा ने नेहरू का विश्वास जीत लिया था। नेहरू भोपाल की सुंदरता और सादगी से इतने प्रभावित हुए कि साल 1956 तक 18 बार इस शहर का दौरा कर चुके थे। ट्रैक्टर टेस्टिंग संस्थान, पॉलिटेक्निक कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेज उनकी इसी मोहब्बत की निशानी हैं।
जबलपुर का विरोध और बुझी दीवाली
राजधानी भोपाल बनने के विरोध में जबलपुर से एक प्रतिनिधिमंडल दिल्ली पहुंचा और नेहरू, मौलाना आजाद, लाल बहादुर शास्त्री जैसे नेताओं से मिला, लेकिन उन्हें निराशा ही हाथ लगी। विरोध में शहरवासियों ने उस वर्ष दीवाली का त्याग कर दिया।
पटेल और भोपाल की रणनीतिक अहमियत
सरदार पटेल नहीं चाहते थे कि देश के बीच का इलाका अस्थिर राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बने। भोपाल के तत्कालीन नवाब हमीदुल्लाह खां हैदराबाद के नवाब के साथ भारत विरोधी साजिशों में शामिल माने जाते थे। इसीलिए भोपाल को निगरानी के लिए राजधानी बनाया गया।
राजधानी बनने के 16 साल बाद बना जिला
जब भोपाल को राजधानी बनाया गया, तब इसकी आबादी महज 50 हजार थी और यह सीहोर जिले के अंतर्गत आता था। 1972 में इसे अलग जिला घोषित किया गया। मुख्यमंत्री आवास के रूप में उस समय के आईजी एस.एन. आगा का बंगला चुना गया, जो आज वीआईपी गेस्ट हाउस है।
शंकरदयाल शर्मा की शिक्षा नीति
मध्य प्रदेश के गठन से पहले भोपाल राज्य के मुख्यमंत्री रहे शंकरदयाल शर्मा को बाद में राज्य का शिक्षा मंत्री बनाया गया। वे धर्मनिरपेक्षता के कट्टर समर्थक थे। वे चाहते थे कि बच्चों की शिक्षा अंधविश्वास नहीं, बल्कि विवेक और विज्ञान पर आधारित हो; इसलिए उन्होंने किताबों से धार्मिक प्रतीकों को हटाने तक की पहल की।
