TMC और SP के बाद उद्धव गुट ने भी जेपीसी का किया बहिष्कार, PM-CM हटाने वाले बिल पर संग्राम तेज

Maharashtra News: तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बाद अब शिवसेना (उद्धव गुट) ने भी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को हटाने वाले संविधान (130वां संशोधन) विधेयक पर गठित की जा रही संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का बहिष्कार कर दिया है। शिवसेना नेता संजय राउत ने इस प्रस्तावित समिति को पूरी तरह “कोरी नौटंकी” करार दिया। बिल […]
Maharashtra News: तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बाद अब शिवसेना (उद्धव गुट) ने भी प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को हटाने वाले संविधान (130वां संशोधन) विधेयक पर गठित की जा रही संयुक्त संसदीय समिति (JPC) का बहिष्कार कर दिया है। शिवसेना नेता संजय राउत ने इस प्रस्तावित समिति को पूरी तरह “कोरी नौटंकी” करार दिया।
बिल को लेकर उठे गंभीर सवाल
उद्धव गुट का सख्त रुख
शिवसेना (उद्धव गुट) के नेता संजय राउत ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट करते हुए लिखा, “मोदी सरकार लोकतंत्र को और जनता द्वारा चुनी गई सरकार को कुचलने के लिए 130वां संविधान संशोधन विधेयक लेकर आई है। इसकी समीक्षा के लिए गठित की जा रही संयुक्त संसदीय समिति केवल एक नौटंकी है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे यह स्पष्ट करते हैं कि पार्टी इस जेपीसी का हिस्सा नहीं बनेगी।”
तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी का विरोध
जेपीसी का बहिष्कार करने वाली पहली पार्टी तृणमूल कांग्रेस थी। इसके बाद समाजवादी पार्टी ने भी साफ कह दिया कि वह अपने सांसद समिति में नहीं भेजेगी।
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बिल को खारिज करते हुए कहा, “यह विधेयक गलत सोच पर आधारित है। खुद गृह मंत्री अमित शाह ने माना कि उन पर फर्जी केस दर्ज हुए। जब किसी पर भी झूठे आरोप लगाए जा सकते हैं, तो इस बिल का उद्देश्य ही संदिग्ध हो जाता है।”
वरिष्ठ नेताओं ने भी जताई नाराजगी
TMC के वरिष्ठ नेता डेरेक ओब्रायन ने जेपीसी की उपयोगिता पर सवाल खड़े किए।
उन्होंने कहा कि 2014 से पहले जेपीसी को जनहित और जवाबदेही का माध्यम माना जाता था, लेकिन अब सरकारें इसका राजनीतिक इस्तेमाल कर रही हैं।
इस वजह से इसकी भूमिका खोखली हो चुकी है।
संसद में हंगामे के बीच पेश हुआ बिल
बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में यह संविधान संशोधन विधेयक पेश किया। इसके तहत अगर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री गंभीर आरोपों के चलते लगातार 30 दिनों तक जेल में रहते हैं, तो उनका पद स्वतः समाप्त हो जाएगा।
बिल पेश करते समय विपक्षी सांसदों ने जोरदार हंगामा किया। यहां तक कि एक सांसद ने विधेयक की कॉपी फाड़कर अमित शाह की ओर फेंकने की कोशिश भी की।
संयुक्त संसदीय समिति का गठन
इस बिल को केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार (संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 के साथ संयुक्त संसदीय समिति के पास भेजा गया है। आगामी समिति में कुल 31 सांसद होंगे, जिनमें 21 लोकसभा और 10 राज्यसभा के सदस्य शामिल होंगे। जेपीसी को शीतकालीन सत्र तक अपनी रिपोर्ट सौंपनी होगी।
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