विधायकों की खरीद फरोख्त मामला: हाईकोर्ट ने पांच साल पुराने एसीबी केस में दी क्लीन चिट

Rajasthan News: राजस्थान हाईकोर्ट ने विधायकों की खरीद-फरोख्त को लेकर पांच साल पहले अशोक गहलोत सरकार के समय एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) में दर्ज प्रकरण में एफआर पेश होने के बाद केस बंद करने का आदेश दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एसीबी ने स्वयं ही प्रकरण में अपराध सिद्ध नहीं होने का मान लिया है और इसी आधार पर एफआर प्रस्तुत की गई है। ऐसे में एफआईआर को चुनौती देने का कोई औचित्य नहीं बचता।
पांच साल पुराने एफआईआर पर उठाया था सवाल
फोन रिकॉर्डिंग पर आधारित मामला
याचिकाकर्ताओं की ओर से बताया गया कि प्रकरण केवल फोन रिकॉर्डिंग के आधार पर दर्ज किया गया था। रिकॉर्डिंग में केवल सामान्य बातचीत दिखाई देती है और किसी तरह की विधायकों की खरीद-फरोख्त या प्रभावित करने की कोई बात नहीं है। उन्होंने कोर्ट को बताया कि विस्तृत जांच में भी एसीबी को कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले।
एसीबी ने पेश किया एफआर
एसीबी ने हाल ही में विस्तृत जांच के आधार पर कोर्ट में एफआर पेश की और बताया कि आरोपियों के खिलाफ प्रकरण में कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले हैं। इसी कारण से हाईकोर्ट ने केस को बंद करने का आदेश दिया।
जानें पूरा मामला
वर्ष 2020 में एसीबी ने आरोप लगाया था कि याचिकाकर्ताओं ने अन्य सहयोगियों के साथ मिलकर राजस्थान विधानसभा के चुने हुए विधायकों को रुपए का लालच देकर लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने और राज्यसभा चुनाव में अनुचित तरीके से मतदान प्रभावित करने का प्रयास किया। हालांकि, बाद में एसीबी ने विस्तृत जांच के बाद एफआर पेश की और बताया कि आरोप सिद्ध करने के लिए कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिले।