गढ़वाल विश्वविद्यालय में शुरू हुआ 46वां आइआइजी सम्मेलन, देशभर के भू-विज्ञानी और विशेषज्ञ कर रहे पृथ्वी के बदलते स्वरूप पर मंथन

नाजुक पर्यावरण और जलवायु प्रतिरोधी समाज’ बना सम्मेलन का प्रमुख विषय

देशभर से आए शोधार्थी प्रस्तुत कर रहे हैं
सम्मेलन में दिल्ली विश्वविद्यालय, बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय जैसे कई उच्च शिक्षण संस्थानों के भू-विज्ञान विशेषज्ञ और शोधार्थी भाग ले रहे हैं। प्रस्तुत किए जा रहे पेपरों में हिमालय क्षेत्र की भू-संरचना, जैवविविधता, जलवायु सहनशीलता और आपदा प्रबंधन पर नया डेटा पेश किया जा रहा है। यह संगोष्ठी देशभर के भू-विज्ञान समुदाय के लिए संवाद, अनुसंधान और सहयोग का एक बड़ा मंच बन गई है।
जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए युवाओं की भूमिका पर भी होगा फोकस
सम्मेलन का एक विशेष सत्र युवाओं और शोधार्थियों के दृष्टिकोण पर केंद्रित रहेगा। इसमें भविष्य की पीढ़ी को पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ विकास की दिशा में प्रेरित करने पर चर्चा होगी। आयोजकों का कहना है कि वैज्ञानिक विचार-विमर्श और सहयोग से आने वाले वर्षों में देश को जलवायु परिवर्तन से मुकाबला करने की नई रणनीतियाँ मिलेंगी। गढ़वाल विश्वविद्यालय प्रशासन ने बताया कि इस पूरे आयोजन का उद्देश्य वैज्ञानिकों, नीति-निर्माताओं और समाज के बीच एक मजबूत संवाद स्थापित करना है।
