बिहार चुनाव 2025: मुंगेर जिले में वैश्य वोटर की पकड़ के लिए NDA और RJD की कड़ी टक्कर

राजद ने भी आखिरी समय में पलटी बाजी

वैश्य समाज की अहमियत और वोट बैंक की रणनीति
मुंगेर जिले में वैश्य समुदाय को कोर वोटर माना जाता है। सिर्फ तारापुर विधानसभा में 25 से 30 हजार, मुंगेर में 50 से 55 हजार और जमालपुर में 20 से 25 हजार वैश्य वोटर हैं। दोनों दल इन वोटों को अपने पक्ष में करने के लिए विशेष रणनीति बना रहे हैं।
भाजपा को वैश्य समाज से पहले नहीं मिला मौका
पूर्व में भाजपा ने वैश्य समाज को टिकट नहीं दिया था, जिसका लाभ राजद ने उठाया था। 2009 के मुंगेर उपचुनाव में भाजपा ने वैश्य उम्मीदवार विश्वनाथ गुप्ता को मौका नहीं दिया था, जिससे राजद को जीत मिली थी।
राजद का पलटी बाजी और रणनीति
महागठबंधन में सीटों के बंटवारे और शेयरिंग में विलंब हुआ। वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी के करीबी सकलदेव बिंद ने तारापुर से निर्दलीय नामांकन किया, लेकिन राजद को सीट मिलने के बाद अरुण कुमार को मौका दिया गया।
वैश्य समुदाय का समर्थन निर्णायक
अरुण कुमार मूल रूप से असरगंज प्रखंड के रहने वाले हैं। स्थानीय होने के कारण उन्हें वैश्य समुदाय का समर्थन मिलता है। पिछले चुनावों में वैश्य वोटों में 70-75 प्रतिशत वोट उन्हें मिला था, जिससे एनडीए के कोर वोटर में सेंधमारी हुई।
तीन सीटों पर मुकाबला रोमांचक
इस बार मुंगेर जिले में तीनों विधानसभा सीटों पर मुकाबला बेहद रोचक होने की संभावना है। दोनों दल अंतिम समय तक वैश्य वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए रणनीति बना रहे हैं। एनडीए और राजद के नए चेहरे और वैश्य वोटर की अहमियत इस चुनाव को निर्णायक बना सकती है।
