"मेरठ में सेंट्रल मार्केट की 30 साल की मेहनत मिट्टी में,"बिजली काटी, दुकानें ढहाईं, प्रशासन ने की ध्वस्तीकरण कार्रवाई",फूट-फूटकर रोने लगे कारोबारी


कार्रवाई शुरू होने से पहले ही बिजली विभाग की टीम ने क्षेत्र की बिजली आपूर्ति काट दी, ताकि अभियान के दौरान किसी तरह की दुर्घटना न हो। सुबह करीब 10 बजे से आवास विकास परिषद, पुलिस बल और नगर निगम के कर्मचारी मौके पर जुट गए थे। बिजली काटे जाने के बाद दुकानों में कामकाज ठप हो गया और व्यापारी बाहर बैठकर स्थिति पर नज़र रखे हुए थे।
व्यापारियों ने शिकायत की कि उन्हें बिजली काटे जाने की कोई पूर्व सूचना या वैकल्पिक व्यवस्था नहीं दी गई थी, जिससे उन्हें भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।
कारोबारियों का भावुक दृश्य
ध्वस्तीकरण से पहले कई कारोबारी अपनी दुकानों के सामने बैठकर रोते रहे। मौके पर मौजूद महिलाएं भावुक होकर प्रशासन से विनती करती रहीं, "हमें आखिरी बार अपनी दुकानें देख लेने दीजिए।"
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
सुरक्षा कारणों से शनिवार सुबह करीब 11:30 बजे प्रशासन की टीम मौके पर पहुंची, तो आसपास के लोग बड़ी संख्या में इकट्ठा हो गए। भीड़ को देखते हुए पुलिस ने पूरे इलाके में बैरिकेडिंग कर दी। सुरक्षा के लिए कई थानों की फोर्स, पीएसी और फायर ब्रिगेड तैनात की गई। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा के लिहाज से बिजली काटना ज़रूरी था। इस दौरान एटीएस के ड्रोन से पूरे क्षेत्र की हर गतिविधि पर लगातार नजर रखी गई। बाजार भी पूरी तरह से बंद रहा।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर एक्शन
यह कॉम्प्लेक्स 288 वर्ग मीटर की जमीन पर बना था। यह जमीन मूल रूप से काजीपुर के वीर सिंह को आवास के लिए आवंटित हुई थी, लेकिन 1990 में विनोद अरोड़ा नामक व्यक्ति ने पावर ऑफ अटॉर्नी का इस्तेमाल कर यहां अवैध रूप से कॉमर्शियल कॉम्प्लेक्स बनवा लिया।
मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा। कोर्ट ने 17 दिसंबर 2024 को आदेश दिया था कि इस कॉम्प्लेक्स को तीन माह के भीतर खाली कराया जाए और आवास विकास परिषद के तहत ध्वस्त किया जाए। सूत्रों के अनुसार, इस मामले की सुनवाई 27 अक्तूबर को सुप्रीम कोर्ट में होनी है, इससे पहले ही आज ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी गई।
अवैध कॉम्प्लेक्स के ध्वस्तीकरण के लिए जेसीबी पहुंचते ही दुकानदारों और उनके परिजनों में हाहाकार मच गया और वे रोने-बिलखने लगे।
