नैनी झील में घटती ऑक्सीजन का ‘साइलेंट अलार्म’: जर्जर डिस्क ट्यूब से खतरे में जलीय जीवन, अब नए एयरेशन सिस्टम से मिलेगी झील को नई सांस
Uttarakhand News: नैनीताल की प्रतिष्ठित नैनी झील इन दिनों अपनी गहराइयों में ऑक्सीजन की तेज़ी से कमी झेल रही है। झील के तल में स्थापित कृत्रिम ऑक्सीजन प्रणाली की डिस्क ट्यूब जर्जर हो चुकी है, जिसके कारण पानी में घुलित ऑक्सीजन का स्तर घटता जा रहा है। इससे मछलियों और अन्य जलीय जीवों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है।
जर्जर डिस्क ट्यूब से बिगड़ा झील का प्राकृतिक संतुलन
5.7 करोड़ की डीपीआर भेजी
प्रमुख सचिव आवास आर. मीनाक्षी सुंदरम ने जब नैनीताल विकास प्राधिकरण से विस्तृत रिपोर्ट मांगी, तो बताया गया कि एयरेशन सिस्टम की मरम्मत के लिए 5.7 करोड़ रुपये का विस्तृत प्रोजेक्ट रिपोर्ट (DPR) शासन को भेजा जा चुका है। सरकार ने बजट मंजूरी की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
नए बुलबुले देंगे झील को नई प्राणवायु
बजट पास होते ही झील में नए डिफ्यूज़र और डिस्क ट्यूब लगाए जाएंगे, जो पानी में अधिक ऑक्सीजन घोलेंगे। इससे झील के निचले हिस्सों तक ऑक्सीजन पहुंचेगी और जलीय जीवन को नया सहारा मिलेगा।
सर्वे पूरा, मरम्मत के लिए इंतजार बस बजट का
नैनीताल विकास प्राधिकरण के सचिव विजयनाथ शुक्ल ने बताया कि डिस्क की मरम्मत का सर्वे पूरा कर लिया गया है और डीपीआर तैयार है। जैसे ही बजट आवंटन मिलेगा, मरम्मत कार्य तुरंत शुरू किया जाएगा।
छह पाइप फेल, कई पाइपों में लीक
झील में लगे दो फ्लोमीटरों से जुड़े कुल छह पाइप बिल्कुल ऑक्सीजन सप्लाई नहीं कर पा रहे। कई पाइप धीमी गति से ऑक्सीजन छोड़ रहे हैं और कुछ फट चुके हैं, जिससे लगातार ऑक्सीजन लीक हो रही है। यह स्थिति झील के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यंत खतरनाक साबित हो रही है।
क्यों जरूरी है एयरेशन सिस्टम?
इस सिस्टम की मदद से ऑक्सीजन की कमी पूरी होती है, शैवाल की अत्यधिक वृद्धि रुकती है, पानी की गुणवत्ता सुधरती है और बदबू पैदा होने वाली काली परत बनने से रोकी जाती है। झील में अभी 24 घंटे कृत्रिम ऑक्सीजन सप्लाई की जा रही है ताकि जलीय जीवन बचा रहे।
कैसे काम करता है एयरेशन सिस्टम?
एयरेशन सिस्टम का कंप्रेशर हवा को खींचकर पाइप के माध्यम से डिफ्यूज़र तक भेजता है। डिफ्यूज़र हवा को माइक्रो-बुलबुलों के रूप में पानी में छोड़ते हैं, जो ऊपर उठते हुए पानी में घुलित ऑक्सीजन बढ़ाते हैं। यह तकनीक झील के सबसे निचले हिस्सों तक आक्सीजन पहुंचाती है।
