मधुर वाणी का महत्व: एक वचन से शत्रु भी बन जाते हैं अपने



मधुर वाणी का प्रभाव
जो व्यक्ति गुणवान होता है, मधुर बोलता है, और स्नेहयुक्त वाणी का प्रयोग करता है, उसका वचन इतना तेजस्वी और प्रभावी होता है, जैसे घी से सिंची हुई यज्ञ की अग्नि। ऐसी वाणी सभी को प्रिय लगती है और मन को भाती है।
इसके विपरीत, जो व्यक्ति स्नेहहीन, गुणहीन, अमृदु (कठोर) और रूखी भाषा बोलता है, उसकी वाणी ऐसी अप्रिय लगती है, जैसे बिना तेल का दीया जो केवल बत्ती जलाकर धुंआ कर रहा हो। ऐसी वाणी बोलने वाले से सभी लोग घृणा करने लगते हैं।
वाणी का दुरुपयोग: अमूल्य हीरे को लोहे में जड़ना
वाणी की उपलब्धि मनुष्य की बहुत बड़ी उपलब्धि है, लेकिन यदि कोई इस वाक शक्ति का दुरुपयोग दूसरों को ठगने में, धोखा देने में, दिल दुखाने में, या लोगों को भड़काने और उकसाने में करता है, तो वह ऐसा मूर्ख है, जैसे कोई अमूल्य हीरा लोहे की अंगूठी में जड़ता हो।
लोकप्रियता का आधार
मीठी और मधुर वाणी में गैरों को भी अपना बना लेने की अद्भुत शक्ति है। मधुर वाणी युक्त व्यक्ति अपने घर, परिवार और समाज में हर जगह लोकप्रिय बन जाता है। सभी लोग उससे बात करने के लिए लालायित रहते हैं।
इसलिए, हमें सदैव मीठी वाणी बोलनी चाहिए। इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि भूलकर भी हमारी जिह्वा पर दूसरों को चुभने वाले, कठोर या अप्रिय शब्द न आएं, क्योंकि हमारी वाणी ही हमारे व्यक्तित्व का दर्पण होती है।