-मेघा
बहुत सारी महिलाओं को गर्भकाल के दौरान डायबिटीज और उच्च रक्तचाप रहने लगता है जो महिला और
बच्चे के लिए ठीक नहीं। अगर आप को भी यह परेशानी है तो ध्यान दें:-
- गर्भकाल में होने वाली शुगर को जस्टेशनल डायबिटीज कहते हैं। इसका पता गर्भकाल के 20 हफ्ते बाद
दिखना शुरू होता है। अगर महिला पहले से ही डायबिटिक है तो उसे बहुत ध्यान रखना पड़ेगा कि शुगर
उस दौरान बढ़े नहीं।
- शुगर रोगी को बच्चा प्लान करने से पहले लेडी डाक्टर से मिल लेना बेहतर है ताकि उसकी देखरेख में
सब हो क्योंकि कई बार डाक्टर रोगी को इंसुलिन पर पहले ही ले आते हैं। इंसुलिन मां और बच्चे को
खतरा नहीं पहुंचाता।
- जस्टेशनल डायबिटीज से पीडि़त प्रेग्नेंट महिला को डाक्टर आहार पर नियंत्रण कराते हैं. फिर भी शुगर
लेवल नियंत्रित न हो तो दवा का सहारा डाक्टर लेते हैं ताकि आने वाला बच्चा डायबिटिक न हो।
- हमेशा ऐसी समस्या वाली महिलाओं को अच्छे हास्पिटल में डिलीवरी करानी चाहिए और विशेषज्ञ के पास
समय-समय पर जांच हेतु जाना चाहिए।
- शुगर कंट्रोल न होने पर 20 सप्ताह से पहले गर्भपात हो सकता है। अगर गर्भपात न कराकर पूरे समय
में बच्चे को जन्म दिया जाए तो मस्तिष्क में रक्तस्राव, सांस व ह्नदय संबंधी समस्या जन्म से ही हो
सकती है।
- प्रारंभ से जिस डाक्टर से करा रही हैं, डिलीवरी भी उसी से कराएं क्योंकि उसे आपकी गर्भकाल की सभी
समस्याओं के बारे में पता होता हैं।
- जिन महिलाओं का ब्लड प्रेशर गर्भाधान के दौरान बढ़ता है, उसे इंडयूस्ड हाइपरटेंशन कहते हैं। जिन
महिलाओं को पहले से हाई ब्लड प्रेशर होता है वह क्रोनिक हाइपरटेंशन की मरीज होती हैं। गर्भधारण के
20 सप्ताह बाद ब्लडप्रेशर का हाई होना पता चलता है।
- जो महिलाएं पहले से हाई ब्लडप्रेशर से पीडि़त हैं उन्हें डाक्टर के पास काउंसलिंग के लिए जाना चाहिए
क्योंकि तब डाक्टर उन्हें ऐसी दवाएं देते हैं जो उनके लिए सुरक्षित हों और ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखें।
गर्भावस्था में महिलाओं को फोलिक एसिड नियमित लेना चाहिए।
- आमतौर पर दवाओं से रक्तचाप नियंत्राण में रहता है, अगर फिर भी रक्तचाप बढ़ा रहे तो उन्हें पूरा
आराम करने की सलाह दी जाती है और महिला को डाक्टर के परामर्श अनुसार आराम करना भी चाहिए।
(स्वास्थ्य दर्पण)