तिल का तेल: बालों, त्वचा और हड्डियों के लिए प्राकृतिक अमृत


संक्षेप में, तिल का तेल सिर्फ एक खाद्य तेल नहीं, बल्कि एक पूर्ण औषधीय और पौष्टिक आधार है। बालों के झड़ने की समस्या में यह तेल बेहद प्रभावी है। तिल के तेल में मेथी दाना डालकर गर्म करने के बाद उससे सिर की मालिश करने से बालों की जड़ें मजबूत होती हैं और रूसी की समस्या कम होती है। त्वचा की देखभाल में भी तिल का तेल प्राकृतिक मॉइश्चराइजर का काम करता है। रात में गुनगुना तेल चेहरे पर लगाने से त्वचा की नमी बरकरार रहती है, झुर्रियां कम होती हैं और चेहरा चमकदार दिखता है। सर्दी-खांसी में तिल के तेल में अजवाइन डालकर छाती और पीठ की मालिश करने से बलगम ढीला होता है और सांस लेने में राहत मिलती है। जोड़ों के दर्द में तिल का तेल गर्म करके उसमें हल्दी मिलाकर लगाने से सूजन और अकड़न में राहत मिलती है। आयुर्वेदिक पद्धति ऑयल पुलिंग में भी तिल का तेल अत्यंत लाभकारी है।
सुबह खाली पेट एक चम्मच तेल को मुंह में 2-3 मिनट तक घुमाकर थूक देने से दांतों और मसूड़ों की मजबूती बढ़ती है तथा मुंह की दुर्गंध दूर होती है। नींद की समस्या वाले लोगों के लिए रात में सिर और तलवों में तिल का तेल लगाने से मन शांत होता है और नींद गहरी आती है। बच्चों की मालिश के लिए यह सबसे सुरक्षित तेल माना जाता है, जो हड्डियों को मजबूत बनाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है। सर्दियों में तिल का तेल अमृत समान है। इसकी गर्म तासीर शरीर को ठंड से बचाती है, स्किन ड्राइनेस को कम करती है और रक्त संचार को बेहतर बनाती है। वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो तिल का तेल एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर है। इसमें विटामिन के, लेसिथिन, टायरोसीन और सेसमोल जैसे तत्व पाए जाते हैं, जो मस्तिष्क की कार्यक्षमता, हड्डियों की मजबूती और दिल की सेहत के लिए लाभकारी हैं।
