त्वचा और बालों की सेहत के लिए रामबाण है गंधक, जानें सेवन की सही विधि



यह दिखने में पीले रंग का होता है और उसकी गंध असहनीय होती है, लेकिन आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल त्वचा संबंधी रोग, यौवन को बनाए रखने और रोग-प्रतिरोधक शक्ति को बढ़ाने के लिए भी किया जाता है। इसका स्वाद तीखा और कसैला होता है और तासीर गर्म होती है। अगर शरीर में वात और कफ का असंतुलन है, तो गंधक इन्हें बैलेंस करता है। गंधक का सेवन करने से पहले इसे शुद्ध गंधक में परिवर्तित करना पड़ता है, जिससे इसे खाने लायक बनाया जा सके। अगर आप इसे नहीं करना चाहते हैं, तो बाजार में शुद्ध गंधक गोलियों और भस्म के रूप में मिल जाएगी। शुद्ध गंधक बनाने के लिए लोहे की कहाड़ी में गंधक को गर्म करें और जब वह पिघलने लगे तो उसमें नींबू रस मिला दें।
इस प्रक्रिया को तीन बार करें और गंधक को सुखाकर उसका चूर्ण बना लें। गंधक चूर्ण कई बीमारियों में इस्तेमाल किया जाता है। अगर फोड़े-फुंसी, मुंहासे, खुजली या स्किन से जुड़ा कोई इंफेक्शन है तो गंधक चूर्ण लिया जा सकता है। इसके अलावा, अगर पाचन शक्ति कमजोर है और संक्रमण रोग जल्दी घेर लेते हैं तो इसका सेवन किया जा सकता है। ये शरीर की ऊर्जा शक्ति को बढ़ाने और थकान को कम करने में मदद करेगा, साथ ही शरीर में मौजूद विषैले पदार्थों को भी बाहर निकालेगा। गंधक चूर्ण का इस्तेमाल श्वसन रोगों में किया जाता रहा है।
अस्थमा, खांसी, सर्दी-जुकाम और फेफड़ों को शुद्ध करने में गंधक का चूर्ण सबसे ज्यादा लाभकारी है। अगर आप बालों से जुड़ी समस्या से परेशान हैं, तो गंधक चूर्ण का सेवन इसे कम करने में मदद करेगा। ये बालों को झड़ने से रोकता है और उन्हें काला बनाए रखने में भी मदद करता है। गंधक चूर्ण का सेवन 1 से 3 ग्राम के बीच ही करें और ये खाना खाने से पहले सुबह या शाम के समय लिया जा सकता है। बच्चों को गंधक चूर्ण के सेवन से दूर रखें। बाकी आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह पर ही इसका सेवन करें।