जलालाबाद। एस आईआर के दौरान एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमे एक मतदाता के ए कैटेगिरी के फार्म को बीएलओ द्वारा सी कैटेगिरी मे डाल दिया गया जिसके चलते वह परेशान है उसका कहना है कि अधिकारियो के चक्कर काटने के बाद भी समस्या का समाधान नही किया गया।भविष्य मे यदि उसे परेशानी हुई या चुनाव आयोग से कोई नोटिस भेजा गया तो वह उच्च न्यायालय का रुख करने को मजबूर होगी।
मामला 2003 एसआईआर की गलत मैपिंग मे सुधार का था जिसे सुधारने के बजाय आनन फानन मे और पेचिदा बना दिया गया मतदाता के प्रपत्र को सी कैटेगिरी यानि मतदाता व उसके माता पिता का नाम 2003 की मतदाता सूची में नहीं है जब इसके उलट फौज़िया पत्नी जावेद का नाम 2003 की मतदाता सूची में भाग संख्या 119 क्रम संख्या 267 पर दर्ज है। जिसके चलते फौज़िया द्वारा अपने एसआईआर प्रपत्र को कैटेगिरी ए मे भरकर बीएलओ कुलदीप कुमार को देकर रिसीव ले ली गई चूकि वह इसी कैटेगरी की पात्र थीं।परन्तु मैपिंग के दौरान उसका प्रपत्र अपलोड नही हुआ जांच मे पता चला कि उक्त जानकारी किसी दूसरी विधानसभा मे इसी नाम की मतदाता के प्रपत्र मे दर्ज कर दी गई इस त्रुटि को दूर कराने के लिए फोजिया का पति जावेद एसआईआर मे लगे अधिकारियो से मिला उसे आश्वासन मिला की उसकी प्रपत्र मे हुई त्रुटि को दूर कर उसके पपत्र की सही मैपिंग करा दी जायेगी जब 10 दिनो तक चक्कर लगाने के बाद भी समाधान नही हुआ।जिसके बाद मामला मीडिया मे पहुचा तो एसआईआर से जुडे प्रभारी अधिकारी उपजिलाधिकारी हामिद हुसैन से बात की गई उन्होने साफ तौर पर मतदाता की समस्या के समाधान का आश्वासन दिया उक्त मामले को समाचार पत्रो के 11 दिसम्बर के अंक मे प्रमुखता से छापा गया बावजूद इसके समस्या का हल करने के बजाये उल्टा समस्या को और पेचिदा उस वक्त बना दिया गया जब फौजिया द्वारा अपने पपत्र की आनलाईन स्थिति देखी गई तो उसे पता चला कि उसका प्रपत्र बीएलओ द्वारा सी कैटेगिरी यानि 2003 मे उक्त मतदाता का कोई साक्ष्य नही होने वाले पपत्र मे डाल दिया गया।एसआईआर प्रक्रिया के अन्तिम दिन आनन फानन मे ऐसा करने से अब मतदाता परेशान है उसका कहना है कि उसे परेशानी हुई तो वह उक्त मामले को उच्च न्यायालय मे लेकर जायेगी।पूरे प्रकरण मे ये बात साफ है कि सरकारी अमले ने 2003 की गलत मैपिंग को सही करने के बजाय उसे दरकिनार करके कागज़ी समाधान निकालने का प्रयास किया है ताकि 11 दिसम्बर अंतिम तिथि से पहले ऑनलाइन फॉर्म सबमिट दिखाया जा सके।इस सम्बन्ध मे बीएलओ कुलदीप कुमार का कहना है कि ए कैटेगिरी मे फीडिंग नही होने के चलते फिलहाल उसे सी कैटेगिरी मे डाला गया है बाद देखा जायेगा।
जानकारो का कहना है कि यह तत्काल निस्तारण नहीं बल्कि रिकॉर्ड में गड़बड़ी को और गहरा करना है। किसी भी पात्र मतदाता को गलत कैटेगरी में डालना न केवल आयोग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है बल्कि भविष्य में उनके रिकॉर्ड मतदान अधिकार और सत्यापन में जटिलता पैदा कर सकता है।मूल त्रुटि मैपिंग को ठीक किए बिना सी कैटेगरी देना समाधान नहीं।अब देखने वाली बात यह है कि क्या 2003 की गलत मैपिंग को चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में सही किया जाएगा या फॉर्म ऑनलाइन सबमिशन दिखाकर मामले को बंद कर दिया जाएगा।मतदाता पुनरीक्षण जैसे संवेदनशील अभियान में यह मामला प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करता है।
पूरे प्रकरण मे कैटेगरी नियमों का हुआ उल्लंघन।
जानिए क्या कहती हैं एस आई आर की तीन कैटेगरी।
चुनाव आयोग ने ऑनलाइन फीडिंग के लिए तीन स्पष्ट कैटेगरी निर्धारित की हैं
कैटेगरी अ
जन्म 1987 से पूर्व हुआ हो
और 2003 की मतदाता सूची में नाम मौजूद।फौज़िया इसी कैटेगरी की पात्र थीं क्योंकि 2003 की सूची में उसका नाम थानाभवन विधानसभा के भाग संख्या 119 क्रम संख्या 267 पर दर्ज है।
कैटेगरी बी
2003 की सूची में स्वयं का नाम नहीं हो लेकिन माता/पिता का नाम 2003 की सूची में मौजूद हो।
कैटेगरी सी
स्वयं और माता पिता का नाम 2003 की सूची में नहीं हो