लोकसभा: विमानन क्षेत्र में नागरिकों के अधिकारों का हनन रोके सरकार : विपक्ष
नयी दिल्ली । विमानन क्षेत्र में हाल में पैदा हुए अभूतपूर्व संकट पर सदस्यों ने लोकसभा में गहरी चिंता व्यक्त की और कहा कि सरकार ने इस क्षेत्र को निजी हाथों को सौंपकर एकाधिकार को बढ़ावा दिया है जिसके कारण मनमाने ढंग से यात्रियों को लूटा जा रहा है और विमानन कंपनियां लाभ के लिए निर्ममता के साथ नागरिकों के अधिकारों का हनन कर रही है।
लोकसभा में गैर सरकारी सदस्यों ने इस संबंध में शुक्रवार को पेश संकल्प पर चर्चा के दौरान कहा कि सरकार विमानन कंपनियों को आम नागरिकों को प्रताड़ित करने और उनकी जेब पर डाका डालने की छूट दे रही है और इसी का परिणाम है कि हाल में इंडिगो विमानन सेवा के कारण देशभर के हजारों यात्रियों को अभूतपूर्व संकट का सामना करना पड़ा। लोगों को अपने गंतव्य तक पहुंचने की अनिश्चितता के साथ ही हवाई अड्डों पर भारी संकटों का सामना करना पड़ा लेकिन उनकी सुनने वाला कोई नहीं था। पूरी तरह से अराजकता का माहौल था और देशी मार्गों पर यात्रियों को एक-एक लाख रुपए तक का भुगतान करना पड़ा। लोग अपनों से मिलने से वंचित रह गये, युवा परीक्षाओं में शामिल नहीं हो सके और बड़ी संख्या में देश के विभिन्न हिस्सों में लोग अपने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों में विमानन कंपनी की मनमानी के कारण शामिल नहीं हो सके।
कांग्रेस की प्रोफेसर वर्षा एकनाथ गायकवाड़ ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि सस्ती उड़ानों के जरिए देश के नागरिकों को सफर का सपना दिखाने वाली सरकार में इंडिगो की मनमानी चल रही है और सरकार उसको नहीं रोक पा रही। देश के भीतर यात्रा के लिए यात्रियों को लाख-लाख रुपए तक किराया देना पड़ा। उन्होंने इसे विमानन कंपनियों पर एकाधिकार का परिणाम बताया और कहा कि सरकार इंडिगो को जिस तरह से प्रमोट करती रही है यदि यही सब चलता रहा तो फिर दिक्कतें आती रहेंगी और आम लोगों लिए हवाई सेवा का मतलब नहीं रह जाएगा।
उन्होंने कहा कि बड़ी संख्या में एअरलाइंस बंद हो रही है और करीब 20 कंपनियों पर ताले लग चुके हैं या उनका विलय हो गया है। इसके कारण एअरलाइंसों की मनमानी बढ़ रही है। आम लोगों के लिए इसी वजह से हवाई सेवा कठिन होती जा रही है और उनका यह एकाधिकार नागरिकों के लिए संकट बन गया। एअर पोर्ट पर वाहनों से वेटिंग के नाम पर अत्यधिक पैसा लूटा जा रहा है और यह लूट मिनटों और घंटो के हिसाब से हो रही है। एयरपोर्ट पर कोई सामान वाजिब दाम पर नहीं मिल सकता। हवाई अड्डों और विमानों पर एकाधिकार बढ़ रहा है और इसी का परिणाम है कि उसमें मनमानी होती है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार आम लोगों की नहीं उद्योगपतियों की मदद में जुटी है और इसी का परिणाम है कि एक उद्योगपति को मुंबई की जमीन दे दी गई है। एअर पोर्ट भी उसी के पास हैं। विमानन कपंनियों के साथ भी यही खेल चल रहा है और एक की व्यक्ति को देकर इस क्षेत्र में एकाधिकार को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसी नीति के कारण हवाई सफर का संकट खड़ा हुआ है।
समाजवादी पार्टी के रमाशंकर राजभर ने कहा कि विमानन संकट के कारण देश के नागरिकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा और घरेलू मार्गों पर यात्रियों को 90 हजार रुपए तक किराया देना पड़ा। सरकार ने 500 से 750 किलोमीटर तक तथा इससे आगे की यात्रा के लिए किराया तय किया हुआ है लेकिन हवाई यात्रा में लूट मची थी और कोई भी इन नियमों को नहीं देख पा रहा था। उनका कहना था कि प्रयागराज कुंभ के दौरान भी लोगों को हवाई यात्रा में पांच गुना ज्यादा तक किराया देना पड़ा। और तो और पहलगाम हमले के बाद हवाई किराया तेजी से बढ़ गया था। सवाल है कि इन कंपनियों की देश के प्रति कोई जिम्मेदारी है कि नहीं। आखिर लोगों से मनमाना किराया क्यों वसूला जा रहा है। इन सबकी समीक्षा सरकार ने नहीं की और जनता के अधिकारों की रक्षा करने में विफल रही है।
उन्होंने कहा कि कुछ एअरलाइनों की मनमानी चल रही है क्योंकि उन्हें मालूम है कि उनके प्रतिस्पर्धी नहीं है इसलिए वे किराया मनमाने तरीके से बढ़ाते रहते हैं। उन्होंने मांग करते हुए कहा कि हर विमानन कंपनी को सख्त निर्देश सरकार दे कि वह मूल्य नियंत्रण के साथ लोगों को सेवा उपलब्ध कराए। विमान सेवा देने वाली कंपनियों को लोगों को लूटना नहीं चाहिए और मनमाना किराया वसूल करने की बजाय देश के सच्चे नागरिक की तरह सेवाओं का न्याय के साथ संचालन करना चाहिए। सपा नेता ने कहा कि एअरपोर्ट वालों को मालूम होना चाहिए कि जहां उनके विमान उड़ रहे हैं वह जमीन किसान ने दी है। उनका कहना था कि खामियों को दुरुस्त किया जाना चाहिए और जो लूट मची है उस पर नियंत्रण होना चाहिए। उन्होंने कहा कि लूट मचाने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए और विमान सेवा का किराया तय होना चाहिए।
