उम्र बढ़ी, पर टैलेंट नहीं हुआ कम! सिडनी वनडे में रोहित शर्मा ने फिर याद दिलाया, क्यों हैं वो हिटमैन
Rohit Sharma Century: सिडनी के मैदान पर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए वनडे मुकाबले में भारतीय कप्तान रोहित शर्मा ने अपनी क्लासिक बल्लेबाजी का शानदार नमूना पेश किया। उन्होंने 121 रनों की नाबाद पारी खेलते हुए यह साबित कर दिया कि उम्र बढ़ सकती है, लेकिन टैलेंट की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती। पिछले पांच सालों में यह दूसरा मौका था जब रोहित ने 100 से अधिक गेंदें खेलीं और इस बार उन्होंने आक्रामक कप्तान नहीं, बल्कि समझदार बल्लेबाज की भूमिका निभाई।
कप्तान से ‘एंकर’ बने रोहित शर्मा
शतक कम हुए, पर अहमियत बढ़ी
आंकड़ों के मुताबिक, पिछले पांच वर्षों में यह रोहित का चौथा शतक है। लेकिन इन शतकों की अहमियत कहीं ज्यादा है। सिडनी की पिच पर जब वो एक-एक शॉट खेल रहे थे, तो लगा जैसे पुराना रोहित लौट आया हो, वही आत्मविश्वास, वही टाइमिंग और वही धैर्य। 73 रनों की जुझारू पारी के बाद आया यह 121* रन वाला ‘चैप्टर’ उनके क्रिकेट जीवन की नई दिशा का प्रतीक है।
क्लासिक बल्लेबाजी का पुराना टेम्पलेट
यह वही टेम्पलेट था, जिसे रोहित ने 2013 से 2019 के बीच बनाया था, नई गेंद के खिलाफ सतर्क शुरुआत, बीच के ओवरों में स्ट्राइक रोटेशन और फिर आखिर में तूफानी फिनिश। इस बार परिस्थितियां कठिन थीं और लक्ष्य भी छोटा, इसलिए विस्फोटक अंदाज की जरूरत नहीं थी, पर हर चौके में वही पुराना आत्मविश्वास झलक रहा था।
भावनाएं और वापसी की कहानी
मैच के बाद जब रोहित शर्मा ने एडम गिलक्रिस्ट और रवि शास्त्री से बात की, तो उनकी आवाज में भावनाओं की गहराई थी - “ऑस्ट्रेलिया से बहुत सी अच्छी-बुरी यादें जुड़ी हैं।” यादें उस समय की, जब इसी मैदान पर वह टेस्ट टीम से बाहर हो गए थे। लेकिन इस बार सिडनी ने उसी खिलाड़ी को फिर से सिरमौर बना दिया।
फॉर्मेट भले घटा, फोकस नहीं
टी20 से संन्यास के बाद रोहित के पास अब सिर्फ वनडे फॉर्मेट बचा है और यह वही फॉर्मेट है जो अब सबसे कम खेला जाता है। सवाल यह उठ रहा है कि क्या वे 2027 के वनडे वर्ल्ड कप तक अपनी लय कायम रख पाएंगे? सिडनी में उनकी यह पारी जवाब है- हाँ, रख पाएंगे। क्योंकि कुछ खिलाड़ी समय से नहीं, जुनून से खेलते हैं।
सेलेक्टर्स को सीधा संदेश: ‘मैं अब भी यहां हूं’
121 रन की इस पारी ने आलोचकों और सेलेक्टर्स के लिए साफ संदेश दिया है- “मैं खत्म नहीं हुआ, मैं बस अलग तरीके से खेल रहा हूं।” सात महीने के ब्रेक और स्थिर शेड्यूल के बाद रोहित के लिए आने वाला वक्त एक नई शुरुआत हो सकता है। उम्र जरूर बढ़ी है, लेकिन उनकी क्लास और मानसिकता पहले से भी अधिक निखर चुकी है।
क्लास कभी रिटायर नहीं होती
रोहित शर्मा ने यह साबित किया है कि क्रिकेट सिर्फ फिटनेस या उम्र का खेल नहीं है, यह खेल है जुनून, अनुभव और मानसिक ताकत का। उन्होंने दिखा दिया- “मुझे मत गिनिए कि मैंने कितने रन बनाए, देखिए कि मैं अब भी कैसे खेलता हूं।”
