मुलायम सिंह की मुरादाबाद कोठी पर हाईकोर्ट का फैसला: सपा का कब्जा बरकरार, प्रशासन का नोटिस रद्द
मुरादाबाद। पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के नाम पर मुरादाबाद में आवंटित कोठी सपा के पास ही रहेगी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंगलवार को इस कोठी को खाली कराने के प्रशासन के आदेश पर रोक लगा दी और नोटिसों को रद्द कर दिया। कोर्ट ने प्रशासन की कार्रवाई को 'वैध नहीं' ठहराया।
करीब तीन महीने पहले मुरादाबाद के जिलाधिकारी (डीएम) अनुज सिंह ने कोठी का आवंटन रद्द करते हुए सपा को 30 दिन के भीतर कोठी खाली करने का नोटिस जारी किया था। इस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि "अगर अधिकारी बुलडोजर लेकर पहुंचे, तो भाजपा के स्मारक भी महफूज नहीं रहेंगे।"
सपा जिलाध्यक्ष जयवीर यादव ने इस नोटिस को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अंतरिम रोक लगाई थी, जिसे आज जस्टिस अरिंदम सिन्हा और जस्टिस सत्यवीर सिंह की डबल बेंच ने बरकरार रखा।
कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें
प्रशासन की ओर से दलील दी गई कि कोठी का इस्तेमाल राजनीतिक गतिविधियों के लिए किया जा रहा है। वहीं, सपा के वकील ने इसे द्वेषपूर्ण कार्रवाई बताते हुए कहा कि सभी कार्य कानूनी रूप से किए जा रहे हैं।
कोठी का इतिहास और विवाद
यह कोठी (नजूल की जमीन पर बनी, जिसका मालिकाना हक राज्य सरकार के पास है) 13 जुलाई, 1994 को मुलायम सिंह यादव के नाम पर आवंटित की गई थी, जब वे यूपी के मुख्यमंत्री थे। आवंटन के 15 दिन बाद ही मुलायम सिंह यादव ने यहां सपा के जिला कार्यालय का उद्घाटन किया था और तब से यह सपा के पास ही है। डीएम अनुज सिंह ने नोटिस में कहा था कि नजूल की जमीन पर बनी कोठी का किराया जमा नहीं हो रहा है और निगम के नियमों के अनुसार किराए पर देने की अधिकतम अवधि 15 वर्ष थी, जो अब 3 दशक से अधिक हो चुकी है। वर्तमान जरूरतों को देखते हुए इसे खाली कराना आवश्यक है। कोठी में सपा कार्यालय की गतिविधियां चलती हैं और बाहर सपा जिला कार्यालय का बोर्ड लगा है।
कोर्ट के इस फैसले के बाद, सपा को बड़ी राहत मिली है, जबकि सरकारी संपत्ति पर कब्जे को लेकर भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चौधरी भूपेंद्र सिंह ने सपा पर सरकारी संपत्तियों पर कब्जा करने की पुरानी आदत दोहराने का आरोप लगाया था।
