मुजफ्फरनगर में चकबंदी में 'बड़ा खेला', 70 मीटर जमीन वालों को 70 बीघा अलॉट; ग्रामीणों ने चकबंदी अधिकारी को घेरा
'तानाशाही' और जबरन नक्शा बांटने का आरोप
पीड़ित किसान प्रवीण कुमार त्यागी ने बताया कि ग्रामीण पिछले तीन महीने से परेशान हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि गांव में तानाशाही के तहत जबरदस्ती नक्शा बांटा गया, जिस पर ग्राम प्रधान की मुहर भी नहीं थी। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि वे लगातार इसकी शिकायत आला अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से कर रहे हैं।
किसान प्रवीण कुमार त्यागी ने गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, "चकबंदी में भ्रष्टाचार का बड़ा खेल हो रहा है। मेरे साथ ऐसी घटना हो गई कि हम आत्महत्या करने को मजबूर हैं। चकबंदी में मेरी सात बीघा जमीन घट रही है और मुझे ऊंची-नीची जमीन दे दी गई है।"
'20/80 का खेल' और 'हवाई चक' काटा
ग्रामीणों ने चकबंदी प्रक्रिया को '20/80 का खेल' करार दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि जिसने अधिकारियों को पैसे दिए, उसे अच्छी (सोने जैसी) जमीन के बदले 'रेते' की जमीन दी गई, और जिसने पैसे नहीं दिए, उसे सोने की जमीन के बदले रेते की जमीन दी गई। अधिकारियों ने 'हवाई चक' काट दिए, जिसके तहत जिन लोगों की केवल 70 मीटर जमीन थी, उन्हें 70-72 बीघा जमीन के चक काट दिए गए। जिसकी जमीन नदी से तीन किलोमीटर दूर थी, उसकी जमीन घर के सामने कर दी गई।
ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि चकबंदी में पैसों का बंदरबांट हुआ है। हंगामे के दौरान ग्रामीणों ने मंत्री द्वारा अधिकारी को नक्शा रद्द कर दोबारा कार्यवाही करने के आदेश देने की बात भी कही।
